कश्मीर का विलय v p menon
कश्मीर का विलय :— VP Menon राज्यों के एकीकरण के दौरान सरदार पटेल के सचिव थे और उनकी किताब The story of the integration of the Indian States उस दौर का सबसे प्रमाणिक दस्तावेज़ मानी जाती है।
कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले और फिर विलय को लेकर जो उन्होने अपनी किताब में लिखा है, यहाँ लगा रहा हूँ। मुख्य बिन्दु हैं –
कश्मीर का विलय v p menon
1- महाराजा भारत में विलय की जगह आज़ाद जम्मू-कश्मीर देश का सपना देख रहे थे। अपनी अकड़ में किसी से बातचीत नहीं कर रहे थे।
2- कश्मीर पर आक्रमण 22 अक्टूबर 1947 को शुरू हुआ। महाराजा को भरोसा था कि उनकी सेना निपट लेगी।
3- 24 अक्टूबर को पाकिस्तानी सेना क़बायली भेस में बारामूला से आगे पहुँच गई और महुरा पावर हाउस पर क़ब्ज़ा करके कश्मीर में बिजली सप्लाई बंद कर दी।
4-24 की शाम को महाराजा ने पहली बार भारत से सहायता के लिए गुहार की। यह माउंटबेटन से कहा गया था। लेकिन महाराजा अब भी भारत में विलय की बात नहीं कर रहे थे।
5- अगले ही दिन सुबह (26 को) मेनन को सेना के अधिकारियों और डी एन खाचरू के साथ श्रीनगर भेजा गया।
6- जब वह श्रीनगर पहुंचे तो देखा महाराजा की पुलिस ग़ायब थी और शहर की रक्षा नेशनल कांफ्रेंस के लोग लाठियाँ लेकर कर रहे थे।
7-मेहरचंद महाजन मिले और भारत से सेना भेजने को कहा। महाराजा को श्रीनगर से बाहर निकाला गया और वह एक जीप छोडकर बाक़ी सब साज़ोसामान लेकर अपनी सुरक्षा के लिए जम्मू आ गए।
8-26 की सुबह मेनन दिल्ली लौटे और स्थिति बताई। माउंटबेटन ने कहा कि जब तक कश्मीर के महाराजा भारत से विलय नहीं करते सेना नहीं भेजी जा सकती क्योंकि फिलहाल जम्मू और कश्मीर एक आज़ाद देश है।
9-दोपहर में मेनन जम्मू लौटे, महाराजा ने अंततः विलय पत्र पर साइन किए और रात को वह काग़ज़ लेकर 26 अक्टूबर की रात दिल्ली लौटे। इसी तारीख को महाराजा ने आधिकारिक रूप से सहायता मांगी।
10-माउंटबेटन अब भी हिचकिचा रहे थे लेकिन नेहरू ने कहा कि अगर सेना नहीं भेजी गई तो श्रीनगर में सारे लोग मारे जाएँगे। उन्होने सेना तुरंत भेजने की ज़िद की और अगले ही दिन 27 अक्टूबर को सुबह पहली फ्लाइट से सेना भेजी गई।
11- शेख़ अब्दुल्लाहइस पूरे वक़्त दिल्ली में थे और कश्मीर की रक्षा के लिए सेना भेजने की गुजारिश कर रहे थे।
यह इतिहास है। बाक़ी हज़ार मुंह है, कोई कुछ भी कह सकता है।
सोर्स Vp Menon
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