केन्द्रीय समाज कल्याण मंडल / समाज कल्याण प्रशासन पर विवेचना कीजिए
केन्द्रीय समाज कल्याण मंडल :— गैर सरकारी सामाजिक कल्याणकारी संगठनों द्वारा सामाजिक समस्याओं के उन्मूलन में प्रभावी भूमिका रही है। आजादी के पश्चात् यह देखा गया कि इन संस्थाओं की भूमिकाओं में कमी आ रही है और साथ ही संख्यात्मक रूप से गरीब है।
केन्द्रीय समाज कल्याण मंडल
भारतीय संविधान के प्रावधान तथा समय की आवश्यकता के अनुसार स्वयंसेवी कल्याणकारी संगठनों के प्रोत्साहन, संवर्द्धन, समन्वय और सहायता के लिए देश की प्रथम पंचवर्षीय योजना में 4 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया। इसलिए प्रावधान किया गया कि ये धनराशि स्वयंसेवी संस्थाओं के मध्य वितरित की जाए। ये भी आवश्यकता महसूस हुई कि इस धनराशि का वितरण सरकारी क्षेत्र में स्वायत्त निकाय द्वारा किया जाएगा। अतः अगस्त 1953 में तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा केन्द्रीय समाज कल्याण मण्डल की स्थापना की गई।
समाज कल्याण मण्डल को निम्नलिखित दायित्व दिए गए
1. विभिन्न समाज कल्याण संगठनों के सर्वेक्षण अनुसंधान के माध्यम से उनकी आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करना ।
2. अनुदान प्राप्त संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं का मूल्यांकन करना।
3. विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों राज्य सरकारों द्वारा कल्याणकारी संगठनों को दी जा रही सहायता में समन्वय स्थापित करना ।
4. ऐसे क्षेत्रों में जहां समाज कल्याण संगठन नहीं है और वहां होना आवश्यक है स्थापना करने के लिए प्रयास करना और सहायता देना।
5. राष्ट्रीय प्राकृतिक तथा अन्य विपदाओं के समय आवश्यकता के अनुसार आपातकाल कार्यक्रम आयोजित करना |
(i) मण्डल का गठन
अप्रैल 1969 में जब इस मण्डल को इस मण्डल का पूर्ववर्ती संघ बदलकर भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अन्तर्गत पंजीकृत किया गया तो उसी के अनुकूल दूसरे संगठनात्मक रूप में भी परिवर्तन किया गया। मण्डल के प्रतिगठन में मूलतः तीन निकाय:—
1. सामान्य निकाय
2. कार्यकारी निकाय
3. मण्डल व कार्यालय
1. सामान्य निकाय का संगठनिक स्वरूप विस्तृत है। एक अध्यक्ष के अलावा भारत सरकार के द्वारा मनोनीत सरकारी सदस्य प्रख्यात कार्यकर्ता राजस्थान में चयनित अध्यक्ष, सामाजिक कल्याणकारी है। सामान्य निकाय का कार्य मण्डल की गतिविधियों के बारे में निर्णय लेना । कार्य प्रगति का मूल्यांकन करना एवं वित्तीय मदों को अनुमति देना है।
2. मण्डल के सामान्य प्रशासनिक कार्य के संचालन के लिए एक कार्यकारी समिति होती है। इस कार्यकारी समिति में मण्डल की अध्यक्षा तथा कार्यकारी निदेशक सहित 12 सदस्य होते हैं। ये समिति मण्डल की नीति निर्धारण करने वाली और क्रियान्वयन की वाली एक प्रमुख इकाई है।
3. मण्डल के विधायी ऊर्जा देने के तुरन्त पश्चात् कार्यालय का पुर्नगठन किया गया तथा कार्यालय को 8 संभागों में विभक्त किया गया जो निम्नलिखित है:—
(1) सामाजिक एवं आर्थिक कार्यक्रम संभाग
(2) संघन कार्यक्रम संभाग
(3) परियोजना संभाग
(4) क्षेत्रीय परामर्श एवं निरीक्षण संभाग
(5) अनुदान संभाग
(6) वित्त एवं लेखा संभाग
(7) प्रकाशन संभाग गठित कार्यालय के माध्यम से यह प्रयत्न दिया गया कि मण्डल के कार्यभार को विभिन्न संभागों एवं इकाईयों में समान रूप से वितरण कर दिये जाये एवं साथ ही विभिन्न संभागों और इकाईयों के उत्तरदायी अधिकारियों को समान पड़ स्तर वेतन श्रृंखला भी प्रदान की जाए।
(8) प्रशासन संभाग केन्द्रीय समाज कल्याण मण्डल अपने आवंटित कार्यों को प्रभावी रूप से संचालित करने में प्रयत्नशील है।
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