जहांगीर ( 1605- 1627) का इतिहास क्या है? जाने - Rajasthan Result

जहांगीर ( 1605- 1627) का इतिहास क्या है? जाने

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सलीम ( जहांगीर) का जन्म 1569 में फतेहपुर सिकरी मैं शेख सलीम चिश्ती की खानकाह में हुआ था सलीम की मां आमेर के राजा भारमल की बेटी थी जिन्हें मरियम उज़-ज़मानी कहते थे।

सलीम का मुख्य शिक्षक अब्दुल रहीम खानखाना थे। सलीम ने सत्ता प्राप्त करने के बाद 12 अध्यादेश जारी किया था जिसमें एक प्रमुख अध्यादेश तंबाकू पर प्रतिबंध लगाना था। जहांगीर ने अपने शासनकाल में 1612 में पहली बार रक्षाबंधन मनाने की परंपरा शुरू की दीपावली के दिन जुआ खेलने की इजाजत दी हिंदुओं को नए मंदिर बनवाने पर कोई प्रतिबंध नहीं था मथुरा में वीर सिंह बुंदेला द्वारा कई मंदिर बनवाए गए थे बनारस में भी कई मंदिरों का निर्माण हुआ।

जहांगीर ने चेतन्य पंथियों को वृंदावन में अनुदान दिया था इसने गौ हत्या पर प्रतिबंध बनाए रखा । श्रीकांत नामक हिंदू को न्यायाधीश नियुक्त किया गया ताकि हिंदुओं को आसानी से न्याय मिल सके इसने भी सुलह-ए- कुल नीति का अनुसरण किया।

ईसाइयों को चर्च/गिरजाघर बनाने की अनुमति दी गुरुवार और रविवार को मांस खाने पर प्रतिबंध लगाया। गुरुवार को वह शासक बना था जबकि रविवार को अकबर का जन्म हुआ था | जहांगीर ने कान छिदवाना और उसमें रत्न पहनने की प्रथा जारी की |

जहांगीर की पहली शादी 1585 में अमेरिकी राजा भगवानदास की पुत्री और मान सिंह की बहन मान बाई से हुआ था। इसी पत्नी से खुसरो का जन्म हुआ जोकि अकबर का प्रिय पोता था | मानबाई ने जहर खाकर आत्महत्या किया था जबकि खुसरो की षड्यंत्र के माध्यम से हत्या की गई खुर्रम के द्वारा |

जहांगीर का दूसरा विवाह मारवाड़ के उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई (जोधाबाई) के साथ हुआ खुर्रम इन्हीं से जन्म लिया था | मानबाई को सलीम ने साह बेगम का पद प्रदान किया था |

जहांगीर ने सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जुन देव की हत्या करवाई थी (खुसरो को सिखों के 5 वे गुरु गुरु अर्जुन देव का आशीर्वाद प्राप्त था साथ ही साथ खुश रहो को गुरु अर्जुन देव ने आर्थिक सहायता प्रदान की थी इसलिए जांगिड़ ने गुरु अर्जुन देव पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए उन्हें मृत्युदंड दिया था गुरु अर्जुन देव की समाधि लाहौर किले पर ठीक स्थित बाहर है) ।

जहांगीर ने 1602 में अपने मित्र वीर सिंह बुंदेला द्वारा अबुल फजल की हत्या करवा दी। जहांगीर के काल में न्याय व्यवस्था को सुलभ करने के लिए न्याय का जंजीर (घंटा) लगवाया गया जिसे किसी भी परिस्थिति में न्याय सुलभ किया जा सके ।

 

नूरजहां

जहांगीर

नूरजहां

नूरजहां का वास्तविक नाम मेहरून्निसा था नूरजहां के पिता का नाम मिर्जा ग्यास वेग था। ईरान में जब राजनीतिक व्यवस्था के कारण ईरान के शासक शाह तहमास्प का तख्ता पलट दिया गया तो की परिस्थिति में मिर्जा ग्यास वेग अपनी तकदीर आजमाने के लिए भारत की ओर रुख किया । भारत आने के रास्ते के दौरान मेहरून्निसा का जन्म हुआ था मेहरून्निसा की शादी शेर अफगन से हुई थी। जिसकी बाद में मृत्यु हो गई जहांगीर ने मेहरून्निसा से विवाह किया और उसे पहले नूर महल की उपाधि दी गई बाद में उसे नूरजहां कहां गया।

जहांगीर के काल में नूरजहा एक सशक्त और प्रभावशाली महिला के रूप में स्थापित हुई। नूरजहां ने अपनी शक्ति के विस्तार के लिए जुन्ता गुट का निर्माण किया था जिसमें निम्न सदस्य थे :-

1. नूरजहां

2. मिर्जा ग्यास बेग (पिता)

3. अस्मत बेग (मॉ)

जुन्तागुट मैं विभाजन की स्थिति तब उत्पन्न हो गई जब आसफ खान की बेटी अर्जुबंद बानो बेगम का प्रेम संबंध खुर्रम से शुरु हो गया । आसफ़ खान चाहता था कि खुर्रम जहांगीर का उत्तराधिकारी बने जिसे उसकी बेटी हिंदुस्तान की मल्लिका बने | लेकिन नूरजहां अपने हाथों से मुगल शासक की शक्ति को निकलने नहीं देना चाहती थी इसलिए उसने शहरयार को बढ़ावा देने लगी और उसकी शादी शेर अफगन की बेटी लाडली बेगम से कर दिया। इससे की नूरजहां के बाद सत्ता की ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो जो प्रतिकूलता का निर्माण करें और नूरजहां जब तक जीवित रहे उस का वर्चस्व बना रहे ।

नूरजहां के विषय में जहांगीर कहता था कि मैंने एक प्लेट शोरबा और एक प्याले शराब के बदले मैंने पूरा हिंदुस्तान नूरजहां को दे दिया है। भारत में इत्र निर्माण का प्रारंभ नूरजहां की मां अस्मत बेग के द्वारा प्रारंभ माना जाता है। नूरजहां ने आगरा में मिर्जा ग्यास बेग का मकबरा बनवाया।

जहांगीर चित्रकला में गहरी रुचि लेता था जहांगीर ने आकारीजा नामक हैराती चित्रकार के नेतृत्व मे आगरा में एक नई चित्रशाला की स्थापना करवाई थी जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए- जहागीरी मैं लिखता है कि मैं किसी चित्रकार के चित्र को देखकर पहचान सकता हूं कि किन-किन चित्रकारों ने कौन सा भाग बनाया है ।

टॉमस रो ने जहांगीर की चित्रकला की योग्यता पर टिप्पणी किया है ।

उस्ताद मनसुर को जहांगीर को नादीर- उल- अस्र की उपाधि दिया था यह दुर्लभ पंछियों और फूलों का चित्र बनाने के विशेषज्ञ थे उस्ताद मंसूर ने साइबेरिया के सारस का चित्र और बंगाल के एक दुर्लभ पशु का चित्र बनाया है जो बहुत प्रचलित है।

अबुल हसन ने जहांगीर के सिंहासन रोहन का चित्र बनाया है और उसे तुजुक ए जहांगीरी के मुख्य पृष्ठ पर लगाया गया है नादिर-उल-जमा इस की उपाधि दी |

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