फूल लाया हूँ कमल के । कविता की सन्दर्भ सहित व्याख्या | भवानी प्रसाद मिश्र |
फूल लाया हूँ कमल के।
क्या करूँ इनका।
पसारें आप आँचल, छोड़ दूँ, हो जाए जी हल्का।
किंतु होगा क्या कमल के फूल का?
कुछ नहीं होता किसी की भूल का मेरी कि तेरी हो
ये कमल के फूल केवल भूल हैं।
भूल से आँचल भरूँ ना गोद मैं वजन इनके मरूँ ना।
इनका सँभाले
ये कमल के फूल लेकिन मानसर के हैं इन्हें हूँ बीच से लाया,
न समझो तीर पर के हैं।
फूल लाया हूँ कमल के
प्रसंग : भवानी प्रसाद मिश्र ने मानवीय आस्था परक मूल्यों पर कविता लिखी है। उनकी काव्य-संवेदना में वनस्पति जगत् की चेतना का आदर है । वे मानव तथा प्रकृति के “तदाकार भाव” के प्रति समर्पित रहे हैं। प्रकृति के भावों का उत्तमांश है – फूल । फूल ही भारतीय परंपरा के मूल भावों का आंतरिक संस्कार रहे हैं। उसी संस्कार से जोड़ते हुए उन्होंने यह मंगलाचरण लिखा है
व्याख्या : कवि का कहना है कि मैं अपनी भावनाओं को कमल के फूल के रूप में मानव को देना चाहता हूँ। इन कमल के फूलों को प्राप्त करने के लिए मैंने मानसर की गहराई में प्रवेश किया है। हर जोखिम उठाकर इन्हें लाया हूँ।
इन्हें मैंने किनारे से नहीं, बीच में फँसकर प्राप्त किया है। यदि इन फूलों का लाना एक भूल भी मानी जाती है तो भी यह भूल अनुपम है कारण, यह भूल कवि मन के पूरे भावबोध का अनिवार्य हिस्सा रही है। यहाँ ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि ये कमल के फूल हदय के मान-सरोवर के भीतर डूबकर तोड़े गए हैं।
विशेष
1. कमल का फूल भारतीय परंपरा में सर्वाधिक आदर और समर्पण का भाव व्यक्त करता रहा है। हमारी पूरी जातीय चेतना के मिथक कमल से पटे पड़े हैं। कमल विष्णु की एक आँख है, विष्णु कमलों से ही माँ दुर्गा की पूजा करते हैं।
2. इस मंगलाचरण को कवि ने “दूसरा सप्तक” 1951 ई. सं. अज्ञेय के सहयोगी संकलन में प्रथम कविता के रूप में दिया है। यहां कवि ने देवता की वंदना नहीं की, अपितु मानव की महिमा के लिए वस्तु निर्देशात्मक रूप को व्यक्त किया है।
3. मानसरोवर भारतीय मिथक परंपरा में वह पवित्र जल का निर्मल सरोवर है जिसमें हंस मोती चुगते हैं और ज्ञानी का ज्ञान कमल यहीं खिलता है।
4. कमल प्रतीक है – भाव की उज्ज्वलता का, आंतरिक अनुभूति के संस्कार का । फलतः यह सांस्कृतिक प्रतीक है।
5. पूरा पद्य खण्ड ऐसे काव्यात्मक बिंब को जन्म देता है जो प्रार्थना की भावमुद्रा को मूर्त करता है।
6. “इन्हें फँस बीच से लाया” काव्य पंक्ति कवि संघर्ष या कवि कर्म के संघर्ष तथा अनुभूति की ईमानदारी का संकेत देती है।
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