महादेवी वर्मा का भाव पक्ष एवं कला पक्ष
महादेवी वर्मा की कविताएं छायावाद के अन्य कवियों से इस अर्थ में बनने की उम्र में उनका निजी संसारी ज्यादा व्यक्त हुआ है ।
महादेवी वर्मा का भाव पक्ष एवं कला पक्ष
महादेवी वर्मा जी के काव्य में वस्तु का संसार बहुत सीमित है। वे प्राय अपने मन की पीड़ा और वेदना कोई विभिन्न रूपों में व्यक्त करती हैं इसके लिए वह प्रकृति का सहारा लेती हैं। और उन्हें प्रतीक रूप में प्रस्तुत करती हैं उनकी कविताओं में प्रकृति के विभिन्न चित्र मिलते हैं लेकिन वे उनके हृदय के मनोभावों की अभिव्यक्ति के माध्यम में प्रकृति चित्र को वह एक दार्शनिक आवरण कभी दे देती हैं। वह अलौकिक भावनाओं को ऐसी शब्दावली में प्रस्तुत करती हैं जिनसे उनमें आध्यात्मिकता का आभास होने लगता है इससे उनकी कविता में रहस्य भावना का समावेश हो गया है।
वस्तुतः महादेवी की कविताओं में भी मुक्ति की आकांक्षा ही पृष्ठभूमि में विद्वान है लेकिन छायावाद के अन्य कवियों से बिना विमुक्ति की इच्छा को सीधे व्यक्त नहीं करती हैं। इसका कारण संभवत उनका स्त्री होना है जिसे भाई यह दबाव में अधिक जीना पड़ता है यही कारण है कि उनमें अकेलेपन और वेदना दोनों की अभिव्यक्ति ज्यादा है प्रिय के प्रति चाहा मिलन की आकांक्षा और नए मिल पाने की पीड़ा ही महादेवी की कविताओं का भाव संसार है लेकिन प्रिय कौन है और क्या है यह कहीं स्पष्ट नहीं होता। इसी से रहस्य आत्मकथा का समावेश हुआ है उपर्युक्त गीत में भी महादेवी जी का निज दुख ही व्यक्त हुआ है लेकिन वह निज का दुख संसार ही कल्याण कामना से भी प्रेरित दिखाई देता है।
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