राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन - Rajasthan Result

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन

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राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन एक केन्द्र प्रवर्तित योजना है।

आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 23 सितंबर, 2013 को मौजूदा स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (SJSRY) के स्थान पर राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) आरंभ किया था।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन में शहरी गरीबों को सशक्त आधारभूत स्तर की संस्थानों में संगठित करने, कौशल विकास के लिए अवसर सृजित करने पर जोर दिया जाएगा जिससे बाजार आधारित रोजगार प्राप्त होगा तथा आसानी से ऋण सुनिश्चित करके स्व-रोजगार उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान की जाएगी।

मिशन का लक्ष्य शहरी बेघरों को चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य सेवाओं से युक्त आश्रय मुहैया कराना है। इसके अतिरिक्त, मिशन में शहरी पथ विक्रेताओं के आजीविका संबंधी मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा।

 इसमें केन्द्र व राज्य का अंश क्रमशः 75 प्रतिशत व 25 प्रतिशत था, जो वित्तीय वर्ष 2015-16 से भारत सरकार द्वारा 60:40 कर दिया गया है।

पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी राज्यों (अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) के लिए यह अनुपात 90:10 होगा।

यह योजना राजस्थान में 01 अप्रैल, 2014 से सभी 33 जिला मुख्यालयों तथा 1 लाख से अधिक आबादी वाले 7 शहरों जैसे- किशनगढ, ब्यावर, भिवाडी, हिण्डौन सिटी, गंगापुर सिटी, मकराना तथा सुजानगढ सहित 40 नगरीय निकायों में प्रारंभ की गई।

इसमें बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय योजना के परिवारों के अलावा 3 लाख रू से कम आय वाले लोगों को लाभान्वित करने का निर्णय लिया गया है।

यह योजना शहरी गरीबों को स्थानीय कौशल, शिल्प और माँग के आधार पर छोटे उद्यमों व छोटे व्यवसायों को (निर्माण तथा सेवा) शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करती है ।

→ राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के 7 घटक है जो निम्नलिखित है

1. सामाजिक गतिशीलता और संस्थागत विकास (SM & ID)- इसके अंतर्गत शहरी गरीबों का मोबिलाइजेशन कर उसका स्वयं सहायता समूह बनाया जाता है जिसमें 10-20 सदस्य होते हैं। इन समूहों को उत्पादन गतिविधियों से जोड़ने के लिए प्रयास किया जाता है ताकि इन्हें आर्थिक संबल मिल सके।

वार्ड स्तर पर 10-20 SHG, मिलकर एक ऐरिया लेवल फेडरेशन निर्मित करेंगे और शहरी स्तर पर सभी ए एल एफ मिलकर सिटी लेवल फेडरेशन बनाएंगे। इन SHGS ALF & CLF का गठन कर उनके विकास के लिए बैंक लिंकेज किया जाएगा और अन्य गतिविधियों के लिए रिसोर्स ओर्गेनाइजेशन का सहयोग लिया जा सकता है। इन RUS को अपनी सेवाएँ देने के बदले प्रति एस एसजी 10,000 तक भुगतान किया जा सकता है।

एसएसजी द्वारा न्यूनतम 8 माह तक कार्य करने पर उसे सहयोग हेतु प्रत्येक समूह को 10,000 रिवोल्विंग फण्ड दिया जाता है। इसी तरह प्रत्येक रजिस्टर्ड ए एल एफ को 50,000 का रिवोल्विंग फण्ड दिया जाएगा। प्रत्येक शहर के लिए एक सिटी लाइवलीहुड सेंटर स्थापित किया जाएगा जो 3 लाख की जनसंख्या पर 1, 3 लाख से 5 लाख तक 2, 5 से 10 लाख तक 3 और 10 लाख से अधिक जनसंख्या पर अधिकतम 8 स्थापित किये जा सकेंगे।

प्रत्येक सीएलसी को तीन किश्तो में 10 लाख रू की आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी। यह सेंटर शहरी गरीबों के उत्पाद तथा सेवाएँ बेचने तथा बैंकिंग व प्रशिक्षण देने का कार्य करेगा।

2. कौशल प्रशिक्षण और प्लेसमेंट के माध्यम से रोजगार (EST&P)- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शहरी गरीबों को कौशल विकास का प्रशिक्षण प्रदान करना तथा प्रशिक्षण के बाद रोजगार उपलब्ध कराना है। इसमें प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी पर 15000 रू व्यय किए जाते है और भारत सरकार के निर्देशों के आधार पर निर्धारित अवधि तथा घण्टों का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट करने पर ही प्रशिक्षण केन्द्र को 30 प्रतिशत राशि प्रदान की जाती है।

3. क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण (CB&T) – राज्य स्तर पर नगरीय विकास मंत्री की अध्यक्षता में एक गवर्निंग काउंसिल, शासन सचिव की अध्यक्षता राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति और जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यवाही समिति का गठन किया गया है। योजना का क्रियान्वयन करने के लिए जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजमेंट यूनिट का गठन किया गया है और राज्य स्तर पर स्टेट मिशन मैनेजमेंट यूनिट बनाई गई है तथा नगरीय निकाय के स्तर पर कम्यूनिटी ऑर्गनाइजेशन की सेवाएँ ली जा रही है। ये संस्थाएँ पूरे राज्य में कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए काम कर रही है।

4. स्वरोजगार कार्यक्रम (SEP) – इस घटक के अंतर्गत शहरी गरीबों को व्यक्तिगत तथा समूह के रूप में वित्तीय सहायता बैंकों के द्वारा बिना किसी जमानत राशि के उपलब्ध करायी जाती है। व्यक्तिगत उद्यम के लिए 2 लाख रू तक का ऋण 7 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है तथा स्वयं सहायता समूह में न्यूनतम 3 सदस्यों के एक ग्रुप को 10 लाख रू तक का ऋण 7 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता । यदि ये समूह एस एच जी असेसमेंट में उच्च श्रेणी प्राप्त करते है तो इन्हें 3 प्रतिशत का ब्याज सबवेंशन दे दिया जाता है।

5. शहरी बेघरों के लिए आश्रय योजना (SUH)- इस योजना के अंतर्गत शहरी बेघरों को 24x घण्टे आश्रय स्थल निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। प्रति एक लाख आबादी पर 100 व्यक्तियों के लिए शहर हाउस बनाया गया है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को 1.6 वर्ग मीटर का स्थान उपलब्ध कराया जाता है। इसमें सभी जन सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

6. शहरी स्ट्रीट वेंडर को सहायता (SUSV)- इसके अंतर्गत स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे कर उनका क्षमतावर्द्धन तथा माइक्रो उद्यम के लिए सहयोग तथा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसमें स्ट्रीटवेन्डर्स को पहचान पत्र जारी किया जाता है। इनकी एक समिति भी प्रत्येक नगरीय निकाय में बनायी गयी है जिसे टाउन वेंडरिंग कमेटी कहते है। पीएम स्वनिधि के तहत 10,000 रूपये तक का बिना ब्याज का ऋण इन्हीं स्ट्रीट वेंडर्स को उपलब्ध कराया गया है।

7. अभिनव व विशेष परियोजना (ISP)- इसके अंतर्गत कुल आवंटन राशि का 5% व्यय करना आवश्यक है। इसमें नवाचार तथा शोध आधारित गतिविधियों को बढावा देने के लिए प्रस्ताव तैयार कराए जाते हैं जिन पर स्वीकृति एप्रूवल कमेटी द्वारा दी जाती है।

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