लुथर गुलिक का सिद्धांत Luther Gulick -

लुथर गुलिक का सिद्धांत Luther Gulick

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लुथर गुलिक का जीवन परिचय

लोक प्रशासन के सिद्धांतों के विकास एवं उनकी लोकप्रियता में वृद्धि कराने में लुथर गुलिक का असाधारण योगदान रहा है गुलिक लोक प्रशासन में शास्त्रीय विचारक माने जाते हैं लूथर गुलिक का जन्म 1892 में में ओसाका जापान में हुआ। अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन 1920 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की 1939 में डिलीट की उपाधि प्राप्त की लुथर गुलिक ने 40 वर्षों तक न्यूयॉर्क में सिटी रिसर्च इंस्टिट्यूट में कार्य किया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने राष्ट्रीय रक्षा परिषद में भी कार्य किया।

1954 से 1962 ईस्वी तक न्यूयॉर्क नगर के एक प्रशासक के रूप में भी अपने कार्य किया आपने इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन न्यूयॉर्क के अध्यक्ष के रूप में भी 1960 से 1982 के बीच कार्य किया। लुथर गुलिक को सामान्य प्रशासन के व्यापक ज्ञान के साथ-साथ सैनिक तथा औद्योगिक प्रशासक के कार्यों का भी अनुभव था।

आपने संगठन के विभिन्न सिद्धांतों का प्रतिपादन किया आप के द्वारा प्रस्तुत लाइन एवं स्टाफ सिद्धांत की अवधारणा सैनिक संगठनों से प्राप्त अनुभव के आधार पर थी।

लुथर गुलिक का प्रमुख प्रकाशन

1. Papers on the science of administration 1937

2. Administrative reflection from world war 2

3. Metropolitan problems and Americans ideas.

4. Modern management for the city of New York

 

लुथर गुलिक का योगदान

अ) लोक प्रशासन का क्षेत्र

लोक प्रशासन के क्षेत्र में किन गतिविधियों को सम्मिलित किया जाए इस क लेकर विचार को में बड़ा मतभेद है। लुथर गुलिक का मत है कि लोक प्रशासन में सामान्य कार्यों के अतिरिक्त प्रशासन की कार्यपालिका की क्रियाओं का भी समावेश होता है।

लूथर गुलिक का मत है “प्रशासन का संबंध कार्य पूरा किए जाने और निर्धारित उद्देश्यों के परिपूर्ति से है लोक प्रशासन की परिभाषा देते हुए लूथर गुलिक ने कहा है लोक प्रशासन के विज्ञान का वह भाग गए जो सरकार से संबंधित है और उसका संबंध कार्यपालिका से है जहां की सरकार का काम मुख्य रूप से होता है यद्यपि इसको स्पष्ट रूप से उन प्रशासकीय समस्याओं पर भी ध्यान देना होता है जो व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के क्षेत्र में आती हैं।”

लोक प्रशासन के क्षेत्र के संबंध में लुथर गुलिक ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे POSDCORB कहा जाता है। POSDCORB शब्द अंग्रेजी के साथ शब्दों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है जिसका प्रत्येक अक्षर एक विशिष्ट कार्य को दर्शाता है।

P — Planning नियोजन करना।

O — Organizing संगठित करना।

S — Staffing कार्मिको की व्यवस्था करना।

D — Directing निर्देश देना।

Co — Co–ordination समन्वय करना।

R — Reporting प्रतिवेदन देना।

B — Budgeting बजट बनाना।

 

1. नियोजन करना

प्रत्येक संगठन को अपने निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति तथा कार्य कुशलता पूर्वक कार्यों को संपन्न करने हेतु समय-समय पर प्रयासरत रहना पड़ता है। इन प्रयासों में भावी योजनाएं एवं कार्यक्रम सम्मिलित होते हैं प्रशासन का यह महत्वपूर्ण दायित्व होता है कि उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं का निर्माण करें इन योजनाओं के निर्माण योजनाओं की रूपरेखा तथा कार्य नीति के निर्धारण को ही नियोजन कहा जाता है।

2. संगठित करना

प्रशासन की गतिविधियों का नियोजन कर लेने के पश्चात दूसरा कार्य संगठन स्थापित करने से है यहां संगठित करने का आज से संगठन की रचना से नहीं है बल्कि संगठन के उद्देश्यों के अनुसार होने वाले कार्यों तथा प्रतिक्रियाओं को व्यवस्थित करने से है। इसका उद्देश्य प्रसाद के ढांचे को इस प्रकार संगठित करना है कि प्रशासकीय कार्यों का विभाजन उचित ढंग से किया जा सके और विभिन्न क्रियाओं में समन्वय स्थापित किया जा सके।

3. कार्मिकों की व्यवस्था करना

प्रत्येक संगठन में कार्यरत कर्मचारी या मानव श्रम शक्ति संगठन का महत्वपूर्ण आधार होती है इन कार्मिकों की भर्ती प्रशिक्षण वर्गीकरण वेतन पदोन्नति इत्यादि कार्यों का निष्पादन प्रशासन का महत्वपूर्ण दायित्व होता है।

4. निर्देशन देना

प्रशासन के उच्च स्तर पर पदस्थापित पदाधिकारी अपने अधीनस्थों को समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर उनका मार्गदर्शन करते हैं निर्देशन पर आयुष सत्ता द्वारा किया जाता है तथा अधीनस्थ कर्मचारी समय-समय पर उन निर्देशों की पालना का अनुसरण कर कार्य को संपन्न करते हैं।

5. समन्वय करना

समन्वय के माध्यम से कार्यों मैं टकराव दोहरा एवं पुनरावृति को रोकने का प्रयास किया जाता है अतः संगठन के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत कर्मचारियों एवं विभिन्न क्रियाओं के मध्य सामंजस्य समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया जाता है सभी शास्त्रीय विचार कोने समन्वय को एक महत्वपूर्ण गतिविधि के रूप में देखा है।

6. प्रतिवेदन करना

इसका उद्देश्य उच्चाधिकारियों तथा निम्न कर्मचारियों के कार्यों के संबंध में निरीक्षण अधिकारियों को सूचित करना है इस कार्य के लिए नियमित रूप से संबंधित कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा अपने कार्यों का प्रगति प्रतिवेदन संबंधित को समय समय पर प्रेषित किया जाता है।

7. बजट बनाना

प्रशासनिक क्रियाओं का संचालन बिना वित्त के संभव नहीं है प्रत्येक संगठन के लिए वित्त की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण कार्य होता है बजट बनाने से तात्पर्य आगामी समय के लिए आए और वह के लेखा-जोखा तैयार करने से है।

ब) संगठन के सिद्धांत

गुलिक मुल्त शास्त्री विचारक माने जाते हैं। गोली का संबंध औपचारिक संगठन विचारधारा से है गोली का यह विश्वास था कि संगठन के कुछ सामान्य सिद्धांत होते हैं और इन सिद्धांतों को लागू करके संगठन की प्रभावशीलता में वृद्धि की जा सकती है हालांकि लूथर गुलिक हेनरी फेयोल द्वारा प्रतिपादित 14 सिद्धांतों से काफी प्रभावित थे लेकिन गुलिक ने संगठन के 10 सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है।

 

1. कार्य विभाजन या विशेषीकरण 

गोली का अपने सिद्धांतों में कार्य के विभाजन या विशेषीकरण के सिद्धांत को सर्वाधिक महत्व देते हैं गुलिक के अनुसार कार्यों को छोटी-छोटी इकाइयाँ में बांटा जाना चाहिए तथा यह विभिन्न इकाइयों अलग-अलग सेवी वर्ग द्वारा संपादित की जानी चाहिए। संगठन के सदस्यों को उनकी योग्यता अभिरुचि तथा कार्य क्षमता के अनुसार कार्य का आवंटन किया जाना चाहिए। इससे प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य में विशेषज्ञ हो जाता है तथा संगठन के कार्य कुशलता में वृद्धि होती है। इससे उत्पादन के मानवीय एवं भौतिक साधनों की कार्य कुशलता में वृद्धि की जा सकती है और न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है |

2. विभागीय गीत संगठनों के आधार

गुलिक ने विभागीय करण के चार आधारों की विवेचना की है संगठन या विभागों के कार्य में कुशलता बनी रहे इसके लिए आवश्यक है कि उसे सुविधानुसार इकाइयों एवं उप इकाइयों में विभाजित किया जाए गुलिक संगठन के विभाग के निर्माण के प्रमुख चार आधारों का वर्णन करते हैं।

अ) कार्य अथवा लक्ष्य

जब किसी विभाग का संगठन किसी विशेष प्रयोजन का उद्देश्य कार्य की दृष्टि से किया जाता है तो इसे संगठन का कार्यात्मक सिद्धांत भी कहा जाता है अतः संगठन की स्थापना उस कार्य को करने के लिए की जाती है जैसे शिक्षा रेल स्वास्थ्य संचार इत्यादि।

ब) प्रक्रिया

प्रक्रिया का अर्थ उसी योग्यता और ज्ञान से है जिसके आधार पर विशेषीकरण की प्रवृत्ति विकसित होती है प्रक्रिया के अनुसार विभागीय करण का अर्थ यह है कि उन लोगों को एक विभाग के अंदर संगठित किया जाए जिन्होंने एक जैसा व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया हो अथवा जोक एक ही प्रकार की सामग्री का उपयोग करते हो। जैसे चिकित्सा सेवा सचिवालय में टाइपिंग शाखा या इंजीनियरिंग में सिविल मैकेनिक तथा इलेक्ट्रिकल शाखा इत्यादि प्रक्रिया आधारित संगठन है इसमें तकनीकी योग्यता पर भी बल दिया जाता है |

स) व्यक्ति

इस सिद्धांत के अनुसार विभागीय संगठन व्यक्तियों या व्यक्ति समूह को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। ऐसे संगठन के विशेषता यह होती है कि वह जिस वर्ग के लिए गठित किया जाता है उसके लिए हर प्रकार की सेवा प्रस्तुत करने को तत्पर रहता है जैसे पुनर्वास विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग अनुसूचित जनजाति आयोग अनुसूचित जाति आयोग इसी श्रेणी के संगठन है।

द) स्थान

संगठनों का निर्माण या वर्गीकरण क्षेत्र या स्थान के आधार पर भी किया जाता है रेलवे के क्षेत्रीय मंडल इंदिरा गांधी नहर परियोजना दामोदर घाटी निगम विदेश मंत्रालय के क्षेत्रीय विभाग इसी आधार पर बने संगठन है।

 

3. पदसोपान द्वारा समन्वय

गुलिक के अनुसार एक अच्छे संगठन में आदेश की श्रंखला अथवा पद अधिकारों की रेखा के स्पष्ट वह निश्चित व्याख्या होनी चाहिए प्रत्येक संगठन में ऊपर से नीचे तक औपचारिक अधिकारों एवं संबंधों के सष्ट रेखा होना आवश्यक है। संगठन में वरिष्ठ व कनिष्ठ अधिकारियों में परस्पर औपचारिक संबंध श्रंखला की स्थापना की जानी चाहिए प्रत्येक कर्मचारी को अपनी श्रंखला का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।

4. सचेत समन्वयक

समन्वय का आशय एक ऐसी व्यवस्था करना है जिससे प्रशासनिक संगठन के सभी से आपस में टकराए बिना और काम की पुनरावृति किए बिना निर्धारित लक्ष्यों की ओर टीम भावना के साथ आगे बढ़े। गुल्लक के अनुसार किसी भी संस्था के प्रभाव पूर्ण लाभ पूर्ण एवं सतत कार्य संचालन के लिए उसके उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संस्था या संगठन के साधनों एवं प्रयासों में उचित समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए गुल के अनुसार प्रत्येक संगठन में समन्वय स्थापना के लिए सचेत प्रयास किए जाने आवश्यक है।

5. समितियों के द्वारा समन्वय

गुलिक के अनुसार समन्वय की स्थापना हेतु समितियों का गठन किया जा सकता है समितियों के द्वारा संगठन के औपचारिक व प्रभावी समन्वय की स्थापना की जा सकती है।

6. विकेंद्रीकरण

गुलिक के अनुसार जिस प्रशासकीय पद्धति में स्थानीय शासकीय निकायों या कर्मचारियों को अधिक शक्ति दी गई हो उसे विकेंद्रित व्यवस्था कहा जाता है। गुलिक ने संगठन में विकेंद्रीकरण की व्यवस्था पर जोर दिया है।

7. आदेश की एकता 

आदेश की एकता से अभिप्राय यह है कि संगठन में प्रत्येक अधीनस्थ कर्मचारी एक से अधिक तात्कालिक अधिकारियों से आज्ञा प्राप्त करने का विषय न बने। यह सिद्धांत इस विचार पर बल देता है कि एक कर्मचारी का एक स्वामी होना चाहिए।

8. स्टाफ तथा लाइन 

गुलिक ने संगठन में इन दोनों इकाइयों को महत्वपूर्ण माना है स्टाफ इकाई का कार्य परामर्श तथा सहायता देना है जबकि लाइन इकाई का कार्य नीति बनाना निर्णय लेना तथा क्रियान्वयन करने का उत्तरदायित्व संभालना है।

9. प्रत्यायोजन 

इसका आशय है कि उच्चाधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थों को सत्ता सहित कार्यो का स्थानांतरण। प्रत्यायोजन से संगठन में कार्यों का विशिष्ट करण तथा कर्मचारियों के उत्तरदायित्व का निर्धारण होता है।

10. नियंत्रण का क्षेत्र नियंत्रण की सीमा का संबंध इस बात से है कि संगठन में एक उच्च पदाधिकारी अपने अधीन कितने कर्मचारियों के कार्यों का आसानी से यह सुगमता पूर्वक नियंत्रण कर सकता है गुल के अनुसार किसी भी संगठन में प्रत्येक अधिकारी के अधीन 5 या 8 से अधिक व्यक्ति नहीं होनी चाहिए।

 

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