शाहजहां (1627-58) का इतिहास | History of Shah Jahan - Rajasthan Result

शाहजहां (1627-58) का इतिहास | History of Shah Jahan

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शाहजहां का जन्म लाहौर में 1592 में मारवाड़ के राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्व से हुआ था| शाहजहां का काल स्थापत्य की दृष्टि से स्वर्णिम काल माना जाता है शाहजहां का बचपन का नाम खुर्रम था। शाहजहां का विवाह 1612 में आसिफ खान की बेटी अर्जुबंद बानो बेगम (मुमताज महल) से हुआ था।

शाहजहां ने सजदा और पैबोस की प्रथा को समाप्त कर चहार तस्लीम की प्रथा को प्रारंभ किया | शाहजहां ने इलाई संवत को बंद कर उसके स्थान पर हिजरी संवत लागू किया |

1634 में कश्मीर सहित पूरे भारत में हिंदू एवं मुस्लिम के बीच विवाह पर रोक लगा दिया हिंदू लोग मुस्लिम दास नहीं रख सकते थे शाहजहां प्रतिवर्ष 50,000 मुद्रा मक्का भेजता था | इसने मोहम्मद साहब के मकबरे के लिए एक मशाल भेट किया था जिसकी लागत 2 .50 रुपये थी ।

शाहजहां ने तीर्थ यात्रा कर को पुनः लागू कर दिया शाहजहां का छठे सिक्ख से गुरु गुरु हरगोविंद सिंह से संघर्ष हुआ था शाहजहां ने गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था | राजा के दरबार में महान कवि पंडित जगन्नाथ रहते थे जिन्होंने गंगा लहरी और रसगंगाधर जैसे ग्रंथ लिखे |

शाहजहां के समय पहला विद्रोह 1628 में बुंदेला नायक जुझार सिंह ने किया था I शाहजहां ने पुर्तगालियों को नमक के व्यापार का एकाधिकार दे दिया था किंतु पुर्तगालियों की उद्दंडता के कारण शाहजहां ने 1632 में उनके व्यापारिक केंद्र हुबली को घेर लिया और उस पर अधिकार कर लिया |

इस के शासनकाल में दक्कन और गुजरात में बीच में अकाल पड़ा और इस अकाल के भयंकर का वर्णन अंग्रेज व्यापारी पीटर मुंडल ने किया है। इसके शासनकाल में मुगल साम्राज्य में तीन नई प्रांत जीतकर जोड़े गए शाहजहां ने दक्षिण भारत में सर्वप्रथम अहमदनगर पर आक्रमण किया था और उसे 1633 में जीतकर मुगल साम्राज्य में जोड़ दिया |

अहमदनगर को जीतने के बाद इसने गोलकुंडा पर दबाव डाला गोलकुंडा का शासक कुतुब शाह ने भयभीत होकर 1636 में मुगलों से संधि कर ली। गोलकुंडा किस शासक ने अपनी पुत्री का विवाह औरंगजेब के पुत्र शहजादा मोहम्मद से कर दिया। गोलकुंडा के सुल्तान जो कि शिया संप्रदाय के मुसलमान थे जो अपने खुतवे में ईरान के शाह का नाम हटाकर शाहजहां का नाम सम्मिलित करना स्वीकार किया था।

मोहम्मद शहीयद (मीर जुमला) जो फ़ारसी व्यापारी था गोलकुंडा का वजीर था वह गोलकुंडा के शासक से नाराज होने के कारण मुगल सेवा में आ गया इसी मीर जुमला ने शाहजहां को कोई नूरी का भेट किया था ।

इसमें 1636 में बीजापुर पर आक्रमण किया और मोहम्मद आदिल को संधि करने के लिए बाद देखिए इसमें ताजमहल आगरा दिल्ली का लाल किला जामा मस्जिद का निर्माण करवाया |

मुमताज की मृत्यु 14 वे बच्चे को जन्म देते समय हुई थी मुमताज को ताजमहल में दफनाया गया औरंगजेब ने 1658 में शाहजहां को सत्ता से अपदस्थ किया और उसे आगरा के मुसम्मन बुर्ज में कैद किया गया इस कैद के दौरान औरंगजेब की बहन जहांआरा शाहजहां की देखभाल की।

औरंगजेब ने जहांआरा को अपने शासनकाल में प्रथम महिला का खिताब दिया था 1666 में शाहजहां की मृत्यु हुई उसे मुमताज महल के कब्र के पास ही दफना दिया गया |

 

दारा शिकोह

इसका जन्म 1615 में मुमताज महल के गर्व से हुआ था दारा शिकोह कादरी सूफी सिलसिले में विश्वास रखता था कादरी सिलसिले के संत मुल्ला शाह द्वारा शिकोह के आध्यात्मिक गुरु थे । प्रसिद्ध इतिहासिक लेनपुल ने धारा शिकोह को लघु अकबर कहा है I

राजा ने दारा शिकोह को शाह बुलंद इकबाल की उपाधि प्रदान किया था । इसने स्वयं की देखरेख में भगवत गीता एवं योग वशिष्ठ का फारसी में अनुवाद करवाया I दारा शिकोह ने मज्म उल बहरीन नामक ग्रंथ की रचना की जो कि हिंदू और मुस्लिम समन्वय पर आधारित थी ।

दारा शिकोह ने स्वयं तथा काशी के कुछ संस्कृत के विद्वानों की सहायता से 52 उपनिषदो का सिर-ए-अकबर नाम से फारसी में अनुवाद करवाया |

 

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