इस्कॉन आंदोलन: ISKCON Movement क्या है ? जाने
द इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कासियानेस (इस्कॉन)। जिसे हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है इस्कॉन की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क मैं भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा हुई यह पंत वैष्णव परंपरा का समर्थक है जिसका मूल दर्शन श्रीमद भगवदगीता और श्रीमद् भागवत जैसे परंपरागत हिंदू धर्म ग्रंथ में निहित हैं भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए इस्कॉन भक्ति योग के अभ्यास का समर्थन करता है |
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इस्कॉन आंदोलन की शुरुआत कब हुई?
इस आंदोलन की शुरुआत श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने की थी। स्वामी प्रभुपादजी ने ही इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी। स्वामी प्रभुपादजी का जन्म 1 सितम्बर 1896 को कोलकाता में हुआ। 55 बरस की उम्र में संन्यास लेकर पूरे विश्व में स्वामी जी ने हरे रामा हरे कृष्णा का प्रचार किया। 14 नवम्बर 1977 को वृंदावन में 81 वर्ष की उम्र में उन्होंने देह छोड़ दी।
इस्कॉन सर्वोच्च मंत्र है :-
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे |
इस्कॉन के भक्तिवेदांता प्रभुपाद द्वारा प्रतिपादित साथ लक्ष्य इस प्रकार हैं:—
1. जीवन में मूल्यों के असंतुलन को रोकने के लिए और संसार में वास्तविक एकता और शांति प्राप्त करने के लिए समाज में आध्यात्मिक ज्ञान का संगठित प्रचार और सभी लोगों को आध्यात्मिक जीवन के सुक्ष्मताओं की शिक्षा देना है ।
2. श्रीमद् भागवत और भगवद्गीता कृष्ण चेतना का प्रसार करना।
3. समाज के सभी सदस्यों को एक साथ कृष्ण के निकट लाना इस प्रकार सदस्यों और जनता में इस विचार का प्रचार करना कि प्रत्येक आत्मा कृष्ण का अभिन्न अंग है |
4. संकीर्तन आंदोलन का प्रचार करना और उसे प्रोत्साहित करना चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं में व्यक्त हुए भगवान के पवित्र नामों का सामूहिक उच्चारण करना।
5. सदस्यों के लिए और आम जनता के लिए कृष्ण के व्यक्तित्व को समर्पित स्थल का निर्माण करना।
6. सहज और प्राकृतिक जीवन शैली के प्रचार के लिए सभी सदस्यों को एक दूसरे के निकट लाना।
7. उपरोक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पत्रिकाओं पुस्तकों और अन्य अध्ययन सामग्रियों का प्रकाशन।
भक्तिवेदांत प्रभुपाद द्वारा प्रतिपादित चार आध्यात्मिक विकास के चार नियामक सिद्धांत इस प्रकार हैं :-
1. मांस मछली और अंडा का सेवन नहीं करना। अवैध यौनाचार नहीं करना l
2. जुआ और नशीले पदार्थों शराब चाय, तंबाकू और अन्य मनोरंजन कारी द्रव्य का सेवन नहीं करना।
धर्म के चार स्तंभ इस प्रकार हैं :
दया, तप, संयम, सोच (शरीर और मन की शुद्धि )
इस्कॉन के मंदिर भारत में कहा कहा है?
वृंदावन में ही इस्कॉन का सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर है जहां पर विश्वभर में इस्कॉन से जुड़े लोग एकत्रित होते हैं और कृष्ण जम्मोत्सव मनाते हैं। लाखों ऐसे विदेशी लोग हैं जिन्होंने हिन्दू धर्म अपनाकर खुद को भाग्यशाली समझा और असल में यही वे लोग हैं जिन्होंने श्रीकृष्ण और हिन्दू धर्म को अच्छे से समझा है और वे इसकी कद्र भी कहते हैं।
आप दुनिया के किसी भी इस्कॉन मंदिर में जाएं इन सभी मंदिरों की खासियत यह है कि इनकी बनावट से लेकर आंतरिक संरचना तक को एक समान रखने का प्रयास किया गया है। यहां की आरती, भोजन और भोजन का समय भी तय होता है। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को बड़ी खूबसूरती सजाया जाता है और वहां पर प्रभुपाद की एक मूर्ति भी होती है। वर्तमान में संपूर्ण विश्व में लगभग 400 से अधिक मंदिर है। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में अनेक भव्य मंदिर और विद्यालय बनवाए हैं। बेंगलुरु का इस्कॉन मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कान मंदिर हैं जिसे 1997 में हरे कृष्ण हिल पर बनाया गया था।
इस्कॉन पर विवाद
न्यूयॉर्क से शुरू हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल यमुना जल्द ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के निर्मल और पावन भजन से गुंजायमान होने लगे। पूरी दुनिया में इस आंदोनल के अधिक अनुयायी होते जाने के कारण निश्चित ही दूसरे धर्मों की नजरों में यह आंदोलन खटने भी लगा जिसके चलते इस्कॉन के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन भी हुए और बाद में उन्हें कई आरोपों का सामना भी करना पड़ा। उन पर ड्रग्स बेचने और लेना का आरोप भी लगा।
कृष्णाटेरियन
इस्कॉन के लोगों अपने खुद का भोजन निर्मित किया है जिसे वे कृष्णाटेरियन कहते हैं। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है जो इस्कॉन मंदिरों में मामूली से शुल्क के साथ मिलता है। लेकिन इस पर आरोप लगने के कारण उन्होंने अब मंदिरों में भोजन प्रसादी की व्यवस्था बंद करने की घोषणा की है। यह बहुत हैरानी वाली बात है कि हिन्दू धर्म के प्रचारकों को हिन्दुओं से ही ज्यादा खतरा है।
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