Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा 2021। 2021 में पूर्णिमा कब है,
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Guru Poornima Quotes in Hindi
“जीवन की हर मोड़ पर कोई-ना-कोई गुरु बनकर कुछ-ना-कुछ सीखा गया; पर मेरे जीवन मैं वक्त सबसे बड़ा गुरु है , जो हर मोड़ पर कुछ नया सीखा रहा हैं।”
“जीवन की हर मोड़ पर कोई-ना-कोई गुरु बनकर कुछ-ना-कुछ सीखा गया; पर मेरे जीवन मैं वक्त सबसे बड़ा गुरु है , जो हर मोड़ पर कुछ नया सीखा रहा हैं।”
गुरु वो फुल 🌹
जो खुशबू में खुद भीग कर
औरो को सुगंधित करता है
अनुशासन के कुछ मंत्रो से
मूर्ख को भी पंडित करता है
🙏गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं🙏
guru purnima – यूं तो अनादिकाल से ही भारत भूमि पर ऋषि, मुनियों और साधू-संतों का वर्चस्व रहा है और दैवीय पद्धति से उनकी पूजा-अर्चना होती आ रही है।
पर जिस प्रकार से प्रत्येक कार्य का कोई न कोई महत्वपूर्ण दिन निर्धारित हुआ है हमारी भारतीय संस्कृति में, उसी प्रकार guru purnima पूजन की परंपरा को भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जिसे व्यास पूर्णिमा, गुरु पूनम या आषाढ़ी पूनम के नाम भी जाना जाता है। भारतवर्ष की पहचान है
उसकी आध्यात्मिक धरोहर। बदलते हुए समय व परिस्थितियों के अनुसार इस आध्यात्मिकता को जीवन में उतारने की अद्भुत कला भी भारतवर्ष के ऋषि मुनियों ने ही संसार को सिखाई है। स्वयं कष्ट सहकर भी जो समाज को उन्नति के मार्ग पर चलाते हैं, ऐसे ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का ही पर्व है guru purnima।
महर्षि वेद व्यास को माना गया है गुरु शिष्य परम्परा का प्रथम गुरु
महाभारत काल में हुए महर्षि वेद व्यास के नाम से तो शायद ही कोई अनजान हो , ये वही मुनिश्रेष्ठ हैं जिन्होंने चारों वेदों का विभाग किया, अठारह पुराणों की रचना की और श्रीमद भागवत की रचना की, उन्हें गुरु – शिष्य परंपरा का प्रथम गुरु माना जाता है, वे भली भांति जानते थे कि यदि किसी व्यक्ति से कोई ज्ञान मिलता है, कुछ सीखने को मिलता है
तो वो हमारे लिए गुरु समान हैं, पूजनीय हैं, फिर चाहे वो कोई छोटा सा जीव – जंतु, कोई प्राणी या फिर मनुष्य ही क्यों न हो। शास्त्रों में एक घटना का वर्णन आता है कि एक बार मुनिवर ने भील जाति के एक व्यक्ति को पेड़ को झुकाकर उससे नारियल तोड़ते हुए देखा | उस दिन से व्यास जी उस व्यक्ति का पीछा करने लगे क्योंकि वो ये विद्या सीखने के इच्छुक थे, पर वो व्यक्ति संकोच और डर के कारण वेद व्यास जी से दूर भागता था |
एक दिन पीछा करते – करते व्यास जी उस व्यक्ति के घर पंहुच गए जहाँ वो तो नहीं, पर उसका पुत्र मिल गया जिसने व्यास जी की पूरी बात सुनी और वो मंत्र देने को तैयार हो गया |
अगले दिन व्यास जी पधारे और पूरे नीति-नियम के साथ उन्होंने वो मंत्र लिया | पिता ने ये सब देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने पुत्र से इसका कारण जानना चाहा | पुत्र की बात सुनकर पिता ने कहा कि बेटा मैं व्यास जी को ये मंत्र जानबूझकर नहीं देना चाहता था क्योंकि मेरे मन में ये बात थी कि जिस व्यक्ति से मंत्र लिया जाता है, वो गुरु तुल्य हो जाता है और हम लोग तो गरीब, छोटी जाति के हैं, तो ऐसे में क्या व्यास जी हमारा सम्मान करेंगे?
फिर पिता ने कहा कि बेटा यदि मंत्र देने वाले को पूज्य न समझा जाये तो वो मंत्र फलित नहीं होता, इसलिए तुम जाओ और व्यास जी की परीक्षा लो कि वो तुम्हें गुरु सम आदर देंगे या नहीं |
पुत्र अगले ही दिन पंहुच गया व्यास जी के दरबार में जहाँ वो अपने साथियों से विचार-विमर्श कर रहे थे | अपने गुरु को आते देखकर व्यास जी दौड़कर आये और उनका पाद-पूजन कर नीति-नियम से उनका मान-सम्मान किया |
ये देखकर वो व्यक्ति बड़ा प्रसन्न हुआ और तब उसकी और उसके पिता की सारी दुविधाएं मिट गईं कि जो व्यक्ति एक छोटी जाति के व्यक्ति को भी गुरु तुल्य महत्व देता हो, वो वाकई में परम पूजनीय है |
और तभी से ये गुरु-शिष्य परंपरा में व्यास जी को सबसे अग्रणी गुरु माना जाने लगा और वर्ष में एक दिन ब्रह्मज्ञानी सद्गुरु को समर्पित किया गया, जो व्यास पूर्णिमा या guru purnima के नाम से प्रचलित है |
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गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन बिना पतवार की नव की तरह है
guru purnima– आत्मस्वरुप का ज्ञान पाने के अपने कर्त्तव्य की याद दिलाने वाला, मन को दैवी गुणों से विभूषित करनेवाला, सदगुरु के प्रेम और ज्ञान की गंगा में बारंबार डुबकी लगाने हेतु प्रोत्साहन देनेवाला ये विशेष पर्व इस बार 24 जुलाई को मनाया जा रहा है |
जो शिष्य ब्रह्मवेत्ता सदगुरु के श्रीचरणों में पहुँचकर संयम, श्रद्धा, भक्ति से उनका पूजन करता है उसे वर्षभर के पर्व मनाने का फल मिलता है । देवी, देवताओं की पूजा के बाद भी कोई पूजा शेष रह जाती है, किंतु सदगुरु की पूजा के बाद कोई पूजा नहीं बचती ।
सच्चे सदगुरु शिष्य की सुषुप्त शक्तियों को जाग्रत करते हैं, योग की शिक्षा देते हैं, ज्ञान की मस्ती देते हैं, भक्ति की सरिता में अवगाहन कराते हैं और कर्म में निष्कामता सिखाते हैं । इस नश्वर शरीर में अशरीरी आत्मा का ज्ञान करवाकर जीते-जी मुक्ति दिलाते हैं ।
Guru Purnima
यह पर्व अपने आराध्य गुरु को श्रद्धा अर्पित करने का महापर्व है। गुरुब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर: , गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम: अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं। गुरु पूर्णिमा के मौके पर अपने गुरु और प्रियजनों को भेजें गुरु पूर्णिमा शुभकामना संदेश…
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