Hindi Sahitya Archives - Rajasthan Result

Category: Hindi Sahitya

हिंदी की मार्क्सवादी आलोचना का उल्लेख कीजिए |

हिंदी की मार्क्सवादी आलोचना का उल्लेख कीजिए |

  हिंदी की मार्क्सवादी आलोचना हिंदी साहित्य पर मार्क्सवादी विचारधारा के प्रभाव की पहली अभिव्यक्ति राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के दौरान तब हुई जब किसानों, मजदूरों और विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करनी...

खरगोशों का कष्ट : रामदयाल मुंडा Khargoshon Ka Kasht : Ram Dayal Munda

खरगोशों का कष्ट : रामदयाल मुंडा एक बार एक जंगल के खरगोशों ने एक बड़ी सभा बुलाई। सभा बुलाने का उद्देश्य था कि हम कैसे सिंहों के मुँह से बच सकेंगे, दिन-दिन उस जंगल...

अंधा युग की समकालीन

अंधा युग की समकालीन प्रासंगिकता पर विचार कीजिए

अंधा युग की समकालीन :— द्वितीय महायुद्ध के उपरांत प्रगतिवाद जब पूर्णतः साम्यवा. खेमे में आ गया तो हिन्दी के कुछ उत्साही नये कवियों ने सन् 1943 में तार सप्तक’ नाम से एक काव्य...

कामायनी एक फैन्टेसी

कामायनी एक फैन्टेसी | कामायनी आधुनिक काव्य होते हुए भी एक फेंटेसी है इस कथन की मीमांसा कीजिए

कामायनी एक फैन्टेसी ‘कामायनी’ हिन्दी साहित्य की बहुचर्चित कृति है और इसकी गणना आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य के रूप में की जाती है। प्रसाद जी ने ‘कामायनी’ में इतिहास; पुराण, दर्शन, धर्म,...

गोदान के प्रमुख

गोदान के प्रमुख पात्रों का परिचय दीजिए |

गोदान के प्रमुख पात्रों का परिचय :—  अपने उपन्यासों के पात्रों के खोलना ही उपन्यास का मूलमंत्र है जीवन ही हमारे समक्ष उपस्थित कर देते कोई व्यक्तिगत पहचान दूसरी ओर व्यक्तिगत विवशता भी कूट-कूट...

बैठे मारुति देखते

बैठे मारुति देखते रामचरणारविन्द | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  बैठे मारुति देखते रामचरणारविन्द, युग ‘अस्ति नास्ति’ के एक रूप, गुणगण अनिन्द्य, साधना मध्य भी साम्य वामा कर दक्षिणपद, दक्षिण करतल पर वाम चरण, कपिवर, गद् गद् पा सत्य सच्चिदानन्द रूप, विश्राम धाम,...

घनानन्द का विरह वर्णन

घनानन्द का विरह वर्णन | घनानन्द |

  घनानन्द का विरह वर्णन :— वास्तव में घनानन्द कवि के काव्य को विरह काव्य कह सकते है। इन्होंने शृंगार रस में भी वियोग पक्ष को महत्व दिया है। इनका वियोग वर्णन मार्मिकता को...

समाज सुधार की दृष्टि

समाज सुधार की दृष्टि से भारतेन्दु की कविताओं के महत्व पर प्रकाश डालें।

समाज सुधार और नवजागरण पश्चिमी सभ्यता के साथ पहले सम्पर्क में आने के कारण पश्चिमी बंगाल में नए विचारों का प्रादुर्भाव भी पहले ही हो गया। मध्यकालीन भारतीय समाज की रुढ़िवादिता, संकीर्णता, अंधविश्वासी चेतना...

रीतिकालीन काव्य और घनानंद

रीतिकालीन काव्य और घनानंद

रीतिकालीन काव्य और घनानंद रीतिकाल के मध्याह्न के कृती कवि हैं, मतिराम, भूषण, बिहारी आदि उनके पूर्ववर्ती हैं और चिन्तामणि, तोष, देव, पद्माकर आदि परवर्ती। इतिहास में यह वह काल था जब मुगलों का...

भक्तिन का चरित्र चित्रण

भक्तिन का चरित्र चित्रण | स्मृति की रेखाएं | महादेवी वर्मा |

भक्तिन का चरित्र चित्रण :— महादेवी जी के प्रायः सभी रेखाचित्रों में महत्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करने वाली भक्तिन को यदि उद्दाम जिजीविषा एवं सेवाधर्मिता का प्रतीक स्वीकारा जाय तो अत्युक्ति न होगी। उसके चरित्र...

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