Hindi Sahitya Archives - Page 2 of 21 - Rajasthan Result

Category: Hindi Sahitya

ये अश्रु राम के

ये अश्रु राम के | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  ये अश्रु राम के  आते ही मन में विचार, उद्वेल हो उठा शक्ति खेल सागर अपार, हो श्वसित पवन उनचास पिता पक्ष से तुमुल, एकत्र वक्ष पर बहा वाष्प को उड़ा अतुल, शत...

प्रेमचंद और हिंदी कहानी

प्रेमचंद और हिंदी कहानी |

  प्रेमचंद और हिंदी कहानी :— प्रेमचंद ने हिंदी कहानी को एक नई जमीन और दिशा प्रदान की। एक युगनिर्माता कहानीकार के रूप में हिन्दी कहानी को उन्होंने जो स्थापत्य दिया वह विचार और...

रावण महिमा श्यामा

रावण महिमा श्यामा विभावरी | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  रावण महिमा श्यामा विभावरी, अन्धकार, यह रूद्र राम पूजन प्रताप तेजः प्रसार, इस ओर शक्ति शिव की दशस्कन्धपूजित, उस ओर रूद्रवन्दन जो रघुनन्दन कूजित, करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल, लख...

कह हुए मौन शिव

कह हुए मौन शिव पतन तनय में भर विस्मय | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  कह हुए मौन शिव, पतन तनय में भर विस्मय सहसा नभ से अंजनारूप का हुआ उदय। बोली माता “तुमने रवि को जब लिया निगल तब नहीं बोध था तुम्हें, रहे बालक केवल, यह...

राम का विषण्णानन देखते

राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण, “हे सखा” विभीषण बोले “आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर, रघुवीर, तीर सब वही तूण में...

सब सभा रही निस्तब्ध

सब सभा रही निस्तब्ध राम के स्तिमित नयन | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  सब सभा रही निस्तब्ध राम के स्तिमित नयन छोड़ते हुए शीतल प्रकाश देखते विमन, जैसे ओजस्वी शब्दों का जो था प्रभाव उससे न इन्हें कुछ चाव, न कोई दुराव, ज्यों हों वे शब्दमात्र...

निज सहज रूप में

निज सहज रूप में संयत हो जानकीप्राण | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  निज सहज रूप में संयत हो जानकीप्राण बोले “आया न समझ में यह दैवी विधान। रावण, अधर्मरत भी, अपना, मैं हुआ अपर, यह रहा, शक्ति का खेल समर, शंकर, शंकर! करता मैं योजित...

कह हुए भानुकुलभूष्ण

कह हुए भानुकुलभूष्ण वहाँ मौन क्षण भर | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  कह हुए भानुकुलभूष्ण वहाँ मौन क्षण भर, बोले विश्वस्त कण्ठ से जाम्बवान, “रघुवर, विचलित होने का नहीं देखता मैं कारण, हे पुरुषसिंह, तुम भी यह शक्ति करो धारण, आराधन का दृढ़ आराधन से...

खिल गयी सभा

खिल गयी सभा । “उत्तम निश्चय यह, भल्लनाथ!” | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  खिल गयी सभा । “उत्तम निश्चय यह, भल्लनाथ!” कह दिया ऋक्ष को मान राम ने झुका माथ। हो गये ध्यान में लीन पुनः करते विचार, देखते सकल, तन पुलकित होता बार बार। कुछ...

प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी

प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए |

प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी :— कविता की तरह कहानी को भी इतिहास की आदि – विधा माना जा सकता है, चाहे वह आज गद्य में लिखी जाती हो, या इससे पहले पद्य में या...

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