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Category: Hindi Sahitya

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों संस्कृत की दरबारी काव्य परंपरा का रीतिवाद इस काल की स्थिति परिस्थिति का सहारा पाकर प्रबल हो गया। इस रीतिवादी प्रबलता में प्रधान रूप से अलंकार-निरूपण, शृंगार चित्रण, बारहमासा...

भक्ति काव्य का स्वरूप

भक्ति काव्य का स्वरूप और विकास | राम भक्ति और कृष्ण भक्ति |

भक्ति काव्य का स्वरूप इकाई के आरंभ में हम आपको भक्ति काव्य की दो प्रमुख धाराओं से परिचित करा चुके हैं। इन धाराओं को निर्गुण काव्यधारा और सगुण काव्यधारा कहा जाता है। आचार्य रामचंद्र...

रविदास की भक्ति भावना

रविदास की भक्ति भावना | रविदास |

रविदास की भक्ति भावना भक्तिकाल के सभी कवि चाहे वे निर्गुण हो या सगुण ईश्वर की भक्ति में विश्वास करते हैं। इन कवियों में ईश्वर तर्क का, विचार का या दर्शन का विषय नहीं...

रीतिकाल की पृष्ठभूमि

रीतिकाल की पृष्ठभूमि प्रमुख प्रवृत्तियों एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए |

रीतिकाल की पृष्ठभूमि प्रमुख प्रवृत्तिया में रीतिकाव्य की विभिन्न प्रवृत्तियों की चर्चा की जाएगी और उन परिस्थितियों पर भी विचार किया जाएगा, जिनके कारण इस काल में एक विशेष प्रकार का काव्य लिखा गया। 1643...

भक्ति काव्य की प्रमुख

भक्ति काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

भक्ति काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ जार्ज ग्रियर्सन ने भक्ति आंदोलन पर विचार करते हुए लिखा था कि इसका आगमन ‘बिजली की चमक के समान अचानक’ हुआ था। लेकिन हम बता चुके हैं कि भक्ति...

भक्तिकाव्य स्वरुप और विकास

भक्तिकाव्य स्वरुप और विकास

भक्तिकाव्य स्वरुप और विकास :– इस इकाई में आपको हिंदी भक्तिकाव्य के स्वरूप और विकास के संबंध में जानकारी दी जाएगी। बाद की इकाइयों में आप भक्ति काव्य धारा से जुड़े कुछ प्रतिनिधि कवियों...

गीतिकाव्य का उद्भव

गीतिकाव्य का उद्भव और विकास |

गीतिकाव्य का उद्भव और विकास :— संस्कृत साहित्य में प्रथम ग्रन्थ के रूप में वेद को गौरव प्राप्त है। इसमें दो प्रकार की बातें भाव प्रकाशन तथा विचार प्रकाशन उपस्थित हैं । वेद का...

जायसी मूलतः प्रेम

जायसी मूलतः प्रेम और सौंदर्य के कवि हैं उक्ति की समीक्षा कीजिए |

जायसी मूलतः प्रेम और सौंदर्य :— जायसी हिंदी के सूफी काव्य परंपरा के साधकों एवं कवियों के सिरमौर हैं। ये अमेठी के निकट जायस के रहने वाले थे, इसलिए इन्हें जायसी कहा जाता है।...

तुलसीदास के दार्शनिक

तुलसीदास के दार्शनिक विचारों पर प्रकाश डालिए ।

  तुलसीदास के दार्शनिक विचारों पर :— तुलसीदास हिंदी के ऐसे विलक्षण कवि हैं जिन्होंने राम कथा के भीतर अपने दार्शनिक मंतव्य का भी अत्यंत रसात्मक वर्णन किया है। जब हम तुलसीदास जैसे भक्त...

गोदान में वर्णित जाति

गोदान में वर्णित जाति-सामंती व्यवस्था टिप्पणी दीजिए ।

  गोदान में वर्णित जाति-सामंती :— जाति- सामन्ती व्यवस्था संस्थागत कठोर पर चलती है। उसमें एकता के सूत्र नहीं है, विभाजन ही विभाजन है। साधन-सम्पन्न और तिकड़मी आदमियों की रहती है। जमीन ही जमींदार...

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