पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता पर प्रकाश डालिए |
‘पृथ्वीराज रासो’ की ऐतिहासिक, तथ्य तो हैं, पर उसके साथ अनेक काल्पनिक घटनाओं और पात्रों का वर्णन भी है, जो एक काव्यग्रंथ होने के कारण स्वाभाविक है । प्रक्षेप की समस्या से इस महान...
‘पृथ्वीराज रासो’ की ऐतिहासिक, तथ्य तो हैं, पर उसके साथ अनेक काल्पनिक घटनाओं और पात्रों का वर्णन भी है, जो एक काव्यग्रंथ होने के कारण स्वाभाविक है । प्रक्षेप की समस्या से इस महान...
रीतिकाल के प्रमुख कवि || हम इस लेख में चिंतामणि त्रिपाठी, भिखारीदास, देव एवं पद्माकर, बिहारी, भूषण, घनानन्द आदि लेखकों पर बात करेंगे इसलिए आप इस लेख को अंत तक पढ़े || रीतिकाल के...
तुलसीदास की भक्ति भावना :— भक्ति ईश्वर के प्रति परम अनुरक्ति का भाव है। वैसी भक्ति जो शास्त्रोक्त विधि से की जाती है उसे वैधी भक्ति तथा जिसमें भक्त ईश्वर के प्रति वात्सल्य, सख्य,...
बिहारी रीतिकाल के महत्वपूर्ण रीतिसिद्ध कवि हैं. रीतिकाल की ख्याति भी बिहारी की वजह से है. बिहारी उन कवियों में गिने जाते हैं जिन्होंने कम लिखकर अधिक ख्याति प्राप्त की है.हिन्दी के प्रमुख आलोचक...
रसखान की भक्ति भावना उच्च कोटि के भावावेशी कृष्ण भक्त थे। उन्होंने एक रूपवती स्त्री के ‘मान’ को तोड़कर और उसके रूप-गर्व के घड़े को ‘फोड़कर’ नन्द के कुमार श्रीकृष्ण से अपना नाता जोड़ा...
विद्यापति पदावली की भाषा मैथिली है। अपनी भाषा और अपनी रचनाओं के बारे में विद्यापति इतने आश्वस्त थे, उन्हें इतना आत्म-विश्वास था कि अपनी प्रारंभिक कृति “कीर्तिलता” में उन्होंने घोषणा कर दी – “बालचन्द...
विद्यापति पदावली में भक्ति प्रधान गीत और शृंगार प्रधान गीतों की पड़ताल थोड़ी सावधानी से करने की जरूरत है। कारण, इनके यहाँ और भक्ति कालीन कवियों की तरह न तो एकेश्वरवाद है और न...
गीतिकाव्य की दृष्टि से विद्यापति पदावली में तीन प्रकार के पद हैं 1. राधा-कृष्ण सम्बं पद 2.शिव, विष्णु गंगा, जानकी, दुर्गा आदि के स्तुतिपरक पद 3.आश्रयदाता राजाओं की स्तुति भरे पद राधा-कृष्ण संबंधी पदों...
भारतेन्दु की भक्तिपरक कविता भारतेन्दु की भक्तिपरक और राजभक्ति आधुनिक कविताओं में भारतेंदु की उन सभी कविताओं को लिया जा सकता है जो उन्होंने ब्रिटिश शासनाध्यक्षों, ब्रिटिश राज और देशभक्ति के बारे में लिखी...
वक्रोक्ति सिद्धांत का सामान्य अर्थ वक्र-उक्ति अर्थात् वक्र या वित्रित्र कथन या टेढ़ा कथन है। यह माना जाता है कि सामान्य बोलचाल में शब्दों का प्रयोग जिन अर्थों में होता है, उन्हीं अर्थों से...
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