Hindi Sahitya Archives - Page 7 of 21 - Rajasthan Result

Category: Hindi Sahitya

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 4 अक्टूबर, 1884 को बस्ती के अगौना नामक गाँव में हुआ और मृत्यु काशी में 2 फरवरी, 1941 को हुई। इनकी प्रारंभिक शिक्षा मिर्जापुर और बाद में प्रयाग में...

सूरदास की काव्य भाषा

सूरदास की काव्य भाषा की विशेषताएं बताइए |

सूरदास की काव्य भाषा सूरदास की काव्य भाषा सूरकाव्य की सर्जनात्मक बनावट और कलात्मकता के निर्माण में भाषासौष्ठव का अपूर्व योगदान है। समग्र काव्यार्थ की निर्मिति में काव्यभाषा एक संश्लिष्ट उपादान की तरह होती...

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का व्यक्तित्व एवं कृतित्व |

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का व्यक्तित्व एवं कृतित्व निराला के जीवन की संक्षिप्त जानकारी आप पहले ही हासिल कर चुके हैं। यहाँ कुछ विस्तृत जानकारी दी जा रही...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन सन् 1907 ई. में उत्तर प्रदेश के अंतर्गत फर्रुखाबाद नामक नगर...

प्रेमचंद के व्यक्तित्व

प्रेमचंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वर्णन कीजिए |

प्रेमचंद के व्यक्तित्व प्रेमचंद के व्यक्तित्व प्रेमचंद के व्यक्तित्व सहज, सरल परन्तु असाधारण था। उनके व्यक्तित्व की यह सहजता और असाधारणता उनके साहित्य में भी परिलक्षित होती है। उन्होंने एक जगह लिखा है :...

विद्यापति भक्त या शृंगारिक

विद्यापति भक्त या शृंगारिक कवि – विश्लेषण कीजिए |

विद्यापति भक्त या श्रृंगारिक कवि विद्यापति भक्त या शृंगारिक  कवि विद्यापति के भक्ति प्रधान गीत और शृंगार प्रधान गीतों की पड़ताल थोड़ी सावधानी से करने की जरूरत है। कारण, इनके यहाँ और भक्ति कालीन...

विद्यापति के व्यक्तित्व

विद्यापति के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालिए |

विद्यापति के व्यक्तित्व विद्यापति का जीवन परिचय (विद्यापति के व्यक्तित्व) कवि कोकिल विद्यापति का पूरा नाम विद्यापति ठाकुर था। वे बिसइवार वंश के विष्णु ठाकुर की आठवीं पीढ़ी की संतान थे। उनकी माता गंगा...

आड़ न मानति चाड

आड़ न मानति चाड-भरे घरी ही रहे | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सुजानहित | घनानंद |

  आड़ न मानति चाड-भरे घरी ही रहे अति लाग-लपेटी | ढीठि भई मिलि ईठि सुजान न देहि क्यौं मीठि जु दीठि सहेटी । मेरी स्वै मोहि कुचैन करै घनआनन्द रोगिनि लौं रहे लेटी...

रीझि बिकाई निकाइ पै

रीझि बिकाई निकाइ पै रीझि थकी | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सुजानहित | घनानंद |

  रीझि बिकाई निकाइ पै रीझि थकी गति हेरत हेरन की गति । जोबन घूमरे नैन लखें मति बौरा गई गति वारि के भोमति । बानी बिलानी सुबोलनि मैं अनचाहिनि – चाह जिबावति है...

बहुत बड़ा सवाल का प्रतिपाद्य

बहुत बड़ा सवाल का प्रतिपाद्य | मोहन राकेश |

बहुत बड़ा सवाल का प्रतिपाद्य बहुत बड़ा सवाल का प्रतिपाद्य यहाँ हम मोहन राकेश की एक महत्वपूर्ण एकांकी ‘बहुत बड़ा सवाल’ के प्रतिपाद्य पर विचार करने जा रहे हैं। इस शीर्षक की उपयुक्तता और...

error: Content is protected !!