वैष्णव की फिसलन का सारांश | हरिशंकर परसाई |
वैष्णव की फिसलन का सारांश :— इस निबंध को पढ़कर आपने समझ लिया होगा कि इसमें आरंभ से अंत तक एक करोड़पति ढोंगी वैष्णव (विष्णु भगवान के भक्त) के लगातार अधःपतन का व्यंग्य-चित्र प्रस्तुत...
वैष्णव की फिसलन का सारांश :— इस निबंध को पढ़कर आपने समझ लिया होगा कि इसमें आरंभ से अंत तक एक करोड़पति ढोंगी वैष्णव (विष्णु भगवान के भक्त) के लगातार अधःपतन का व्यंग्य-चित्र प्रस्तुत...
वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज आयी, ‘मूर्ख, गांधी जी से बड़ा वैष्णव इस युग में कौन हुआ? गांधी जी का भजन है, “वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जे पीर परायी जाणे रे। तू...
वैष्णव करोड़पति है । भगवान विष्णु का मंदिर है । जायदाद लगी है । भगवान सूदखोरी करते हैं। व्याज से कर्ज देते हैं । वैष्णव दो घंटे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, फिर...
भारतीय परंपरा में प्राचीन भारतीय परंपरा में प्राचीन हिंदी काव्य में रामभक्ति परंपरा हिंदी साहित्य में तुलसी पूर्व कवियों में रामानंद अग्रणीय है ये कवि, समाज यायावर प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। हिंदी भाषा-भाषियों के...
प्रेमचंद युग की हिंदी कहानी :– प्रेमचंद की कहानी कला की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि प्रेमचंद ने हिंदी कहानियों के उद्देश्य व दृष्टिकोण में परिवर्तन किया तथा विषय – वस्तु में व्यापक...
जीने की कला निबंध को पढ़ने के बाद यह समझ लिया होगा कि महादेवी वर्मा ने इसमें क्या संग्रह में महादेवी ने नारी समस्या के अनेक पहलुओं पर विस्तार से विचार किया है। प्रस्तुत...
विद्यापति की कविता में प्रेम और शृंगार :– विद्यापति की ‘पदावली’ के पद दो तरह के हैं- शृंगारिक पद और भक्ति पद । इसके अलावा कुछ ऐसे पद भी हैं, जिनमें प्रकृति, समाज, नीति,...
विद्यापति के काव्य सौंदर्य :– आदिकाल में विद्यापति जैसे श्रृंगारी कवि हुए हैं जिन्होंने मैथिली भाषा में ‘पदावली’ की रचना की है। कीतिलता, कीर्तिपताका उन्होंने अपभ्रंश भाषा में लिखी है। वे मिथिला के राजा...
विद्यापति के काव्यगत विशेषताएं: पदों का वर्गीकरण : विद्यापति के पदों को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। 1. शृंगारिक (संयोग और विप्रलंभ) 2. भक्तिरसात्मक (स्तुतियाँ/ अलौकिकभाव) 3. विविध ( कूटपद, शिवसिंह...
हीलीबोन की बत्तखें की समीक्षा :– कहानी मानव जीवन के किसी अंग अथवा मनोभाव की सार्थक अभिव्यक्ति है। कथा सम्राट प्रेमचंद की मान्यता है कि श्रेष्ठ कहानी वही है जो किसी मनोवैज्ञानिक सत्य पर...
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