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गोदान में भारतीय किसानों

गोदान में भारतीय किसानों की वेदना की अभिव्यक्ति किन रूपों में हुई है ?

गोदान में भारतीय किसानों की वेदना की अभिव्यक्ति – प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में संपूर्ण भारतवर्ष के किसानों के दुःख-दर्द का चित्रण नहीं किया है। उन्होंने सिर्फ उत्तर भारत में ज़मींदारी-प्रथा के भीतर रहने...

कार्ल मार्क्स का परिचय

कार्ल मार्क्स का परिचय | कार्ल मार्क्स का साहित्य चिन्तन

कार्ल मार्क्स का परिचय कार्ल मार्क्स का परिचय “जिस तरह डार्विन ने प्राणी जगत के विकास के सिद्धांत का आविष्कार किया था उसी प्रकार मार्क्स ने मानव इतिहास के विकास के सिद्धांत का आविष्कार...

कार्ल मार्क्स का साहित्य

कार्ल मार्क्स का साहित्य चिन्तन :- Marx’s literary thought

कार्ल मार्क्स का साहित्य चिन्तन :- काव्य शास्त्र और समालोचना विषयक कार्यक्रम की इस इकाई में आप सर्वप्रथम कार्ल मार्क्स के उन मौलिक आधारों के बारे में पढ़ेंगे जिन पर उनका चिन्तन टिका है...

वैष्णव की फिसलन की

वैष्णव की फिसलन की भाषा शैली की विशेषताएं लिखिए |

वैष्णव की फिसलन की भाषा वैष्णव की फिसलन की भाषा “बैठक में आकर धर्म को धंधे से जोड़ते हैं। धर्म धंधे से जुड़ जाए, इसी को योग कहते हैं।” “कर्ज लेने वाले आते हैं...

गोदान का मूल्यांकन

किसान जीवन के संदर्भ में गोदान का मूल्यांकन कीजिए |

गोदान का मूल्यांकन :–  “गोदान’ में होरी-धनिया “मोटा-झोटा खाकर मरजाद के साथ रहना” चाहते हैं। वे एक किसान के रूप में जीवन बसर करते रहने के लिए प्रयत्नशील हैं। गाय पालने की एक छोटी-इच्छा...

गोदान उपन्यास का सारांश

गोदान उपन्यास का सारांश | प्रेमचंद |

गोदान उपन्यास का सारांश :– इस इकाई का आपने ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है, आपने यह निश्चित रूप से महसूस किया होगा कि प्रेमचंद का ‘गोदान ‘ किसान जीवन के संघर्ष को अभिव्यक्त करने वाली...

वैष्णव की फिसलन व्यंग्य

वैष्णव की फिसलन व्यंग्य निबंध का प्रतिपाद्य | हरिशंकर परसाई |

वैष्णव की फिसलन व्यंग्य निबंध :—  आपने इस निबंध को पढ़ने तथा इसकी बहुत सारी विशेषताओं की जानकारी प्राप्त करने के बाद इसकी रचना-पद्धति और प्रकृति में एक नयापन देखा होगा। यहाँ निबंध के,...

वैष्णव की फिसलन का

वैष्णव की फिसलन का सारांश | हरिशंकर परसाई |

वैष्णव की फिसलन का सारांश :— इस निबंध को पढ़कर आपने समझ लिया होगा कि इसमें आरंभ से अंत तक एक करोड़पति ढोंगी वैष्णव (विष्णु भगवान के भक्त) के लगातार अधःपतन का व्यंग्य-चित्र प्रस्तुत...

वैष्णव की शुद्ध आत्मा

वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज आयी | की संदर्भ सहित व्याख्या | हरिशंकर परसाई |

वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज आयी, ‘मूर्ख, गांधी जी से बड़ा वैष्णव इस युग में कौन हुआ? गांधी जी का भजन है, “वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जे पीर परायी जाणे रे। तू...

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