Rajasthan Result - Page 3 of 46 - Right Knowledge, Right Direction

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बैठे मारुति देखते

बैठे मारुति देखते रामचरणारविन्द | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  बैठे मारुति देखते रामचरणारविन्द, युग ‘अस्ति नास्ति’ के एक रूप, गुणगण अनिन्द्य, साधना मध्य भी साम्य वामा कर दक्षिणपद, दक्षिण करतल पर वाम चरण, कपिवर, गद् गद् पा सत्य सच्चिदानन्द रूप, विश्राम धाम,...

घनानन्द का विरह वर्णन

घनानन्द का विरह वर्णन | घनानन्द |

  घनानन्द का विरह वर्णन :— वास्तव में घनानन्द कवि के काव्य को विरह काव्य कह सकते है। इन्होंने शृंगार रस में भी वियोग पक्ष को महत्व दिया है। इनका वियोग वर्णन मार्मिकता को...

समाज सुधार की दृष्टि

समाज सुधार की दृष्टि से भारतेन्दु की कविताओं के महत्व पर प्रकाश डालें।

समाज सुधार और नवजागरण पश्चिमी सभ्यता के साथ पहले सम्पर्क में आने के कारण पश्चिमी बंगाल में नए विचारों का प्रादुर्भाव भी पहले ही हो गया। मध्यकालीन भारतीय समाज की रुढ़िवादिता, संकीर्णता, अंधविश्वासी चेतना...

रीतिकालीन काव्य और घनानंद

रीतिकालीन काव्य और घनानंद

रीतिकालीन काव्य और घनानंद रीतिकाल के मध्याह्न के कृती कवि हैं, मतिराम, भूषण, बिहारी आदि उनके पूर्ववर्ती हैं और चिन्तामणि, तोष, देव, पद्माकर आदि परवर्ती। इतिहास में यह वह काल था जब मुगलों का...

भक्तिन का चरित्र चित्रण

भक्तिन का चरित्र चित्रण | स्मृति की रेखाएं | महादेवी वर्मा |

भक्तिन का चरित्र चित्रण :— महादेवी जी के प्रायः सभी रेखाचित्रों में महत्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करने वाली भक्तिन को यदि उद्दाम जिजीविषा एवं सेवाधर्मिता का प्रतीक स्वीकारा जाय तो अत्युक्ति न होगी। उसके चरित्र...

ये अश्रु राम के

ये अश्रु राम के | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  ये अश्रु राम के  आते ही मन में विचार, उद्वेल हो उठा शक्ति खेल सागर अपार, हो श्वसित पवन उनचास पिता पक्ष से तुमुल, एकत्र वक्ष पर बहा वाष्प को उड़ा अतुल, शत...

प्रेमचंद और हिंदी कहानी

प्रेमचंद और हिंदी कहानी |

  प्रेमचंद और हिंदी कहानी :— प्रेमचंद ने हिंदी कहानी को एक नई जमीन और दिशा प्रदान की। एक युगनिर्माता कहानीकार के रूप में हिन्दी कहानी को उन्होंने जो स्थापत्य दिया वह विचार और...

रावण महिमा श्यामा

रावण महिमा श्यामा विभावरी | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  रावण महिमा श्यामा विभावरी, अन्धकार, यह रूद्र राम पूजन प्रताप तेजः प्रसार, इस ओर शक्ति शिव की दशस्कन्धपूजित, उस ओर रूद्रवन्दन जो रघुनन्दन कूजित, करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल, लख...

कह हुए मौन शिव

कह हुए मौन शिव पतन तनय में भर विस्मय | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  कह हुए मौन शिव, पतन तनय में भर विस्मय सहसा नभ से अंजनारूप का हुआ उदय। बोली माता “तुमने रवि को जब लिया निगल तब नहीं बोध था तुम्हें, रहे बालक केवल, यह...

राम का विषण्णानन देखते

राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण, “हे सखा” विभीषण बोले “आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर, रघुवीर, तीर सब वही तूण में...

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