Rajasthan Result - Page 4 of 46 - Right Knowledge, Right Direction

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सब सभा रही निस्तब्ध

सब सभा रही निस्तब्ध राम के स्तिमित नयन | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  सब सभा रही निस्तब्ध राम के स्तिमित नयन छोड़ते हुए शीतल प्रकाश देखते विमन, जैसे ओजस्वी शब्दों का जो था प्रभाव उससे न इन्हें कुछ चाव, न कोई दुराव, ज्यों हों वे शब्दमात्र...

निज सहज रूप में

निज सहज रूप में संयत हो जानकीप्राण | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  निज सहज रूप में संयत हो जानकीप्राण बोले “आया न समझ में यह दैवी विधान। रावण, अधर्मरत भी, अपना, मैं हुआ अपर, यह रहा, शक्ति का खेल समर, शंकर, शंकर! करता मैं योजित...

कह हुए भानुकुलभूष्ण

कह हुए भानुकुलभूष्ण वहाँ मौन क्षण भर | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  कह हुए भानुकुलभूष्ण वहाँ मौन क्षण भर, बोले विश्वस्त कण्ठ से जाम्बवान, “रघुवर, विचलित होने का नहीं देखता मैं कारण, हे पुरुषसिंह, तुम भी यह शक्ति करो धारण, आराधन का दृढ़ आराधन से...

खिल गयी सभा

खिल गयी सभा । “उत्तम निश्चय यह, भल्लनाथ!” | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

  खिल गयी सभा । “उत्तम निश्चय यह, भल्लनाथ!” कह दिया ऋक्ष को मान राम ने झुका माथ। हो गये ध्यान में लीन पुनः करते विचार, देखते सकल, तन पुलकित होता बार बार। कुछ...

प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी

प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए |

प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी :— कविता की तरह कहानी को भी इतिहास की आदि – विधा माना जा सकता है, चाहे वह आज गद्य में लिखी जाती हो, या इससे पहले पद्य में या...

मीरा के विरह में

मीरा के विरह में उनके लौकिक जीवन के अभाव के पक्ष की गहरी भूमिका है, इस कथन के प्रकाश में उसकी विशेषताओं का निर्धारण कीजिए |

मीरा के विरह में उनके लौकिक जीवन :– मीरा की माधुर्य भाव की भक्ति में सबसे प्रगाढ़ और मार्मिक स्वर विरह का है। उन्होंने ऐसा प्रियतम ही चुना है, जिससे लौकिक जगत में मिलन...

मीरा के गिरधर नागर

मीरा के गिरधर नागर की छवि ईश्वर के सगुण-निर्गुण स्वरूप का अतिक्रमण करती है, कथन से अपनी सहमति का उल्लेख कीजिए |

मीरा के गिरधर नागर सगुण भक्त कवियों के परम् आराध्य भगवान कृष्ण ही हैं। उनके समान ही वे उनके सगुण स्वरूप की लीलाओं का गान करती है। मीरा के पितामह रात्र बूदा जी वैष्णव...

आदि अपार अलेख अनंत

आदि अपार अलेख अनंत अकाल | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह ||

  आदि अपार अलेख अनंत अकाल अभेख अलक्ख अनासा | कै शिवशक्ति, दये सुति चार, रजो-तम-सत्त तिहू पुर वासा | द्यौस-निसा ससि सूर के दीप, सु सृष्टि रची पंच तत्व प्रकासा | वैर बढ़ाई...

कृपा-सिन्धु तुम्हरी कृपा

कृपा-सिन्धु तुम्हरी कृपा | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह ||

  कृपा-सिन्धु तुम्हरी कृपा, जो कछु मो पर होइ | रचौं चण्डिका की कथा, वाणी सुभ सब होइ || 2 || कृपा-सिन्धु तुम्हरी कृपा प्रसंग : प्रस्तुत पद्य दशम गुरु गोविन्द सिंह की रचना...

ज्योति जगमगे जगत में

ज्योति जगमगे जगत में, चंडि चमुंड प्रचंड | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  ज्योति जगमगे जगत में, चंडि चमुंड प्रचंड । भुज- दंडन दंडनि-असुर, मंडनि- भुव नवखंड ॥ 3 ॥ ज्योति जगमगे जगत में प्रसंग : प्रस्तुत पद्य कविवर, दशम गुरु गोविन्द सिंह विरचित ‘ चण्डी-चरित्र’...

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