Rajasthan Result - Page 5 of 46 - Right Knowledge, Right Direction

Rajasthan Result Blog

तारनि लोक

तारनि लोक, उधारनि भूमिहिं | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  तारनि लोक, उधारनि भूमिहिं, दैत-संहारिनी चंडि तुही है। कारन ईस कला, कमला, हरि, अद्रि-सुता जहं देख उही है । तामसता ममता नमता कविता कवि के मन मध्य गुही है । कीनौ है कंचन...

प्रमुद - करन

प्रमुद – करन, सब भय-हरन | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  प्रमुद – करन, सब भय-हरन, नाम चंडिका जासु ।  रचौं चरित्र विचित्र तुअ, करौ सुबुद्धि प्रकासु ॥ 5 ॥ प्रमुद – करन प्रसंग : प्रस्तुत पद्य दशम गुरु गोविंद सिंह विरचित काव्य ‘...

आयसु अब जो होइ

आयसु अब जो होइ ग्रंथ तो मैं रचौं | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  आयसु अब जो होइ ग्रंथ तो मैं रचौं ।  रतन प्रमुद कर वचन चीन्ह तामैं गयौं ।  भाषा सुभ सब करौं धारि हौं कृत्ति में।  अद्भुत कथा अपार समुझि करि चित्त में ।।...

त्रास कुटुंब के होइ उदास

त्रास कुटुंब के होइ उदास अवास | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  त्रास कुटुंब के होइ उदास अवास कौ त्यागि बसौ बन राई |  नाम सुरथ्य मुनीसर वेष समेत समाधि समाधि लगाई।  चंडि अखंड खंडे करि कोप भई सुर-रक्षन कौं समुहाई |  बूझह जाइ तिनै...

मुनीश्वरो (मार्कण्डेय ) उवाच

मुनीश्वरो (मार्कण्डेय) उवाच | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  मुनीश्वरो (मार्कण्डेय) उवाच हरि सोइ रहे सजि सेज तहाँ।  जल-जाल कराल विसाल जहाँ ।  भयौ नाभि-सरोज तैं विस्वकर्ता |  स्रुति – मैल तैं दैत रचे जुग ता ॥ 8 ॥ मुनीश्वरो प्रसंग :...

मधु-कैटभ नाम धरे

मधु-कैटभ नाम धरे तिनके | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  मधु-कैटभ नाम धरे तिनके। अति दीरघ देह भये जिनके। तिने देखि लोकेस डरौ हिय में। जग-मातु कौ ध्यान धरौ जिय में ॥9॥ मधु-कैटभ नाम धरे प्रसंग : यह पद्य दशम गुरु गोविंद सिंह...

छुटी चंडि जागे विसनु

छुटी चंडि जागे विसनु | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  छुटी चंडि, जागे विसनु , करौ युद्ध कौ साजु ।  देत सबै घटि जाहिं जिहिं, बढ़े देवतन राजु ॥10॥ छुटी चंडि जागे विसनु प्रसंग : प्रस्तुत पद्य दशम गुरु गोविंद सिंह की रचना...

युद्ध करौ तिन सौ भगवन्त

युद्ध करौ तिन सौ भगवन्त न मारि सकै | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  युद्ध करौ तिन सौ भगवन्त न मारि सकै अति दैत बली हैं।  साल भये तिन पंच हजार दुहू लड़ते नहि बाँह टली है।  दैतन रीझि कहौ ‘वर मांगि’, कहा हरि ‘सीसन देहि’ भली...

देवन थाप्यौ राज

देवन थाप्यौ राज, मधु-कैटभ कौं मारिकें | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  देवन थाप्यौ राज, मधु-कैटभ कौं मारिकें | दीनौ सकल समाज, बैकुंठगामी हरि भये ॥12॥ देवन थाप्यौ राज प्रसंग : प्रस्तुत पद्य दशम गुरु गोविंद सिंह की रचना ‘चण्डी- चरित्र’ के प्रथम अध्याय के...

कृष्ण के प्रति मीरा

कृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति का वैशिष्ट्य निर्धारित कीजिए |

कृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति :– मीरा की कृष्ण भक्ति श्रीकृष्ण के सगुण स्वरूप के प्रति माधुर्य भाव की भक्ति है। इस भक्ति को प्रेमाभक्ति या मधुरा भक्ति भी कहा जाता है। मधुराभक्ति...

error: Content is protected !!