तारनि लोक, उधारनि भूमिहिं | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |
तारनि लोक, उधारनि भूमिहिं, दैत-संहारिनी चंडि तुही है। कारन ईस कला, कमला, हरि, अद्रि-सुता जहं देख उही है । तामसता ममता नमता कविता कवि के मन मध्य गुही है । कीनौ है कंचन...
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