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मीरा की भक्ति में उनके

मीरा की भक्ति में उनके जीवनानुभवों की सच्चाई और मार्मिकता है, कथन से आप कहां तक सहमत हैं ?

मीरा की भक्ति में उनके जीवनानुभवों की सच्चाई :– मीरा पन्द्रहवीं शताब्दी में संपूर्ण भारत में व्यापक रूप से प्रसारित वैष्णव भक्ति आंदोलन की मूल्यवान कड़ी है। उनके काव्य में भक्ति आंदोलन की प्रगतिशील...

मीरा के काव्य में पुरूष

मीरा के काव्य में पुरूष सत्तात्मकता और रूढ़िवादिता का तीखा विरोध मिलता है, कथन की विवेचना कीजिए |

मीरा के काव्य में पुरूष सत्तात्मकता और रूढ़िवादिता :– मीरा का समय सन् 1498 से 1545 तक माना जाता है। वे राजस्थान के प्रसिद्ध राठौर राजा जोधा जी के पुत्र राव दूदा जी की...

मीरा को आधुनिक स्त्री

मीरा को आधुनिक स्त्री क्यों कहा जा सकता है? मीरा ने कौन-कौन से स्वतंत्र निर्णय लिए ?

मीरा को आधुनिक स्त्री :– साहित्य समाज का दर्पण है। जब वह युगीन यथार्थ को प्रतिबिंबित करता है तो उसका लक्ष्य दोहरा होता है। एक लक्ष्य है युगीन विकृतियों, विसंगतियों और रुग्णताओं को विश्लेषण...

मीरा के स्त्री विमर्श

मीरा के स्त्री विमर्श की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए |

मीरा के स्त्री विमर्श :– स्त्रीवादी आलोचना, मीरा के समूचे काव्य को उत्पीड़ित स्त्री के आर्तनाद और विरहिणी प्रिया के मार्मिक हाहाकार का प्रामाणिक दस्तावेज मानती है। स्त्री के निजी जीवन की अनुभूतियाँ और...

जायसी का व्यक्तित्व

जायसी का व्यक्तित्व और रचना-संसार | जायसी |

जायसी का व्यक्तित्व :—  मलिक मुहम्मद जायसी निर्गुण भक्ति काव्यधारा की प्रेमाश्रयी शाखा, जिसे सूफी काव्य के रूप में भी जाना जाता है, के प्रतिनिधि कवि हैं। जायसी के काव्य में सूफी आराधना के...

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों संस्कृत की दरबारी काव्य परंपरा का रीतिवाद इस काल की स्थिति परिस्थिति का सहारा पाकर प्रबल हो गया। इस रीतिवादी प्रबलता में प्रधान रूप से अलंकार-निरूपण, शृंगार चित्रण, बारहमासा...

भक्ति काव्य का स्वरूप

भक्ति काव्य का स्वरूप और विकास | राम भक्ति और कृष्ण भक्ति |

भक्ति काव्य का स्वरूप इकाई के आरंभ में हम आपको भक्ति काव्य की दो प्रमुख धाराओं से परिचित करा चुके हैं। इन धाराओं को निर्गुण काव्यधारा और सगुण काव्यधारा कहा जाता है। आचार्य रामचंद्र...

रविदास की भक्ति भावना

रविदास की भक्ति भावना | रविदास |

रविदास की भक्ति भावना भक्तिकाल के सभी कवि चाहे वे निर्गुण हो या सगुण ईश्वर की भक्ति में विश्वास करते हैं। इन कवियों में ईश्वर तर्क का, विचार का या दर्शन का विषय नहीं...

रीतिकाल की पृष्ठभूमि

रीतिकाल की पृष्ठभूमि प्रमुख प्रवृत्तियों एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए |

रीतिकाल की पृष्ठभूमि प्रमुख प्रवृत्तिया में रीतिकाव्य की विभिन्न प्रवृत्तियों की चर्चा की जाएगी और उन परिस्थितियों पर भी विचार किया जाएगा, जिनके कारण इस काल में एक विशेष प्रकार का काव्य लिखा गया। 1643...

भक्ति काव्य की प्रमुख

भक्ति काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

भक्ति काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ जार्ज ग्रियर्सन ने भक्ति आंदोलन पर विचार करते हुए लिखा था कि इसका आगमन ‘बिजली की चमक के समान अचानक’ हुआ था। लेकिन हम बता चुके हैं कि भक्ति...

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