भक्तिकाव्य स्वरुप और विकास
भक्तिकाव्य स्वरुप और विकास :– इस इकाई में आपको हिंदी भक्तिकाव्य के स्वरूप और विकास के संबंध में जानकारी दी जाएगी। बाद की इकाइयों में आप भक्ति काव्य धारा से जुड़े कुछ प्रतिनिधि कवियों...
भक्तिकाव्य स्वरुप और विकास :– इस इकाई में आपको हिंदी भक्तिकाव्य के स्वरूप और विकास के संबंध में जानकारी दी जाएगी। बाद की इकाइयों में आप भक्ति काव्य धारा से जुड़े कुछ प्रतिनिधि कवियों...
गीतिकाव्य का उद्भव और विकास :— संस्कृत साहित्य में प्रथम ग्रन्थ के रूप में वेद को गौरव प्राप्त है। इसमें दो प्रकार की बातें भाव प्रकाशन तथा विचार प्रकाशन उपस्थित हैं । वेद का...
जायसी मूलतः प्रेम और सौंदर्य :— जायसी हिंदी के सूफी काव्य परंपरा के साधकों एवं कवियों के सिरमौर हैं। ये अमेठी के निकट जायस के रहने वाले थे, इसलिए इन्हें जायसी कहा जाता है।...
तुलसीदास के दार्शनिक विचारों पर :— तुलसीदास हिंदी के ऐसे विलक्षण कवि हैं जिन्होंने राम कथा के भीतर अपने दार्शनिक मंतव्य का भी अत्यंत रसात्मक वर्णन किया है। जब हम तुलसीदास जैसे भक्त...
गोदान में वर्णित जाति-सामंती :— जाति- सामन्ती व्यवस्था संस्थागत कठोर पर चलती है। उसमें एकता के सूत्र नहीं है, विभाजन ही विभाजन है। साधन-सम्पन्न और तिकड़मी आदमियों की रहती है। जमीन ही जमींदार...
‘पृथ्वीराज रासो’ की ऐतिहासिक, तथ्य तो हैं, पर उसके साथ अनेक काल्पनिक घटनाओं और पात्रों का वर्णन भी है, जो एक काव्यग्रंथ होने के कारण स्वाभाविक है । प्रक्षेप की समस्या से इस महान...
रीतिकाल के प्रमुख कवि || हम इस लेख में चिंतामणि त्रिपाठी, भिखारीदास, देव एवं पद्माकर, बिहारी, भूषण, घनानन्द आदि लेखकों पर बात करेंगे इसलिए आप इस लेख को अंत तक पढ़े || रीतिकाल के...
तुलसीदास की भक्ति भावना :— भक्ति ईश्वर के प्रति परम अनुरक्ति का भाव है। वैसी भक्ति जो शास्त्रोक्त विधि से की जाती है उसे वैधी भक्ति तथा जिसमें भक्त ईश्वर के प्रति वात्सल्य, सख्य,...
बिहारी रीतिकाल के महत्वपूर्ण रीतिसिद्ध कवि हैं. रीतिकाल की ख्याति भी बिहारी की वजह से है. बिहारी उन कवियों में गिने जाते हैं जिन्होंने कम लिखकर अधिक ख्याति प्राप्त की है.हिन्दी के प्रमुख आलोचक...
रसखान की भक्ति भावना उच्च कोटि के भावावेशी कृष्ण भक्त थे। उन्होंने एक रूपवती स्त्री के ‘मान’ को तोड़कर और उसके रूप-गर्व के घड़े को ‘फोड़कर’ नन्द के कुमार श्रीकृष्ण से अपना नाता जोड़ा...
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