विद्यापति पदावली की भाषा पर टिप्पणी कीजिए ।
विद्यापति पदावली की भाषा मैथिली है। अपनी भाषा और अपनी रचनाओं के बारे में विद्यापति इतने आश्वस्त थे, उन्हें इतना आत्म-विश्वास था कि अपनी प्रारंभिक कृति “कीर्तिलता” में उन्होंने घोषणा कर दी – “बालचन्द...
विद्यापति पदावली की भाषा मैथिली है। अपनी भाषा और अपनी रचनाओं के बारे में विद्यापति इतने आश्वस्त थे, उन्हें इतना आत्म-विश्वास था कि अपनी प्रारंभिक कृति “कीर्तिलता” में उन्होंने घोषणा कर दी – “बालचन्द...
विद्यापति पदावली में भक्ति प्रधान गीत और शृंगार प्रधान गीतों की पड़ताल थोड़ी सावधानी से करने की जरूरत है। कारण, इनके यहाँ और भक्ति कालीन कवियों की तरह न तो एकेश्वरवाद है और न...
गीतिकाव्य की दृष्टि से विद्यापति पदावली में तीन प्रकार के पद हैं 1. राधा-कृष्ण सम्बं पद 2.शिव, विष्णु गंगा, जानकी, दुर्गा आदि के स्तुतिपरक पद 3.आश्रयदाता राजाओं की स्तुति भरे पद राधा-कृष्ण संबंधी पदों...
भारतेन्दु की भक्तिपरक कविता भारतेन्दु की भक्तिपरक और राजभक्ति आधुनिक कविताओं में भारतेंदु की उन सभी कविताओं को लिया जा सकता है जो उन्होंने ब्रिटिश शासनाध्यक्षों, ब्रिटिश राज और देशभक्ति के बारे में लिखी...
वक्रोक्ति सिद्धांत का सामान्य अर्थ वक्र-उक्ति अर्थात् वक्र या वित्रित्र कथन या टेढ़ा कथन है। यह माना जाता है कि सामान्य बोलचाल में शब्दों का प्रयोग जिन अर्थों में होता है, उन्हीं अर्थों से...
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 4 अक्टूबर, 1884 को बस्ती के अगौना नामक गाँव में हुआ और मृत्यु काशी में 2 फरवरी, 1941 को हुई। इनकी प्रारंभिक शिक्षा मिर्जापुर और बाद में प्रयाग में...
सूरदास की काव्य भाषा सूरदास की काव्य भाषा सूरकाव्य की सर्जनात्मक बनावट और कलात्मकता के निर्माण में भाषासौष्ठव का अपूर्व योगदान है। समग्र काव्यार्थ की निर्मिति में काव्यभाषा एक संश्लिष्ट उपादान की तरह होती...
सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” का व्यक्तित्व एवं कृतित्व निराला के जीवन की संक्षिप्त जानकारी आप पहले ही हासिल कर चुके हैं। यहाँ कुछ विस्तृत जानकारी दी जा रही...
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन सन् 1907 ई. में उत्तर प्रदेश के अंतर्गत फर्रुखाबाद नामक नगर...
प्रेमचंद के व्यक्तित्व प्रेमचंद के व्यक्तित्व प्रेमचंद के व्यक्तित्व सहज, सरल परन्तु असाधारण था। उनके व्यक्तित्व की यह सहजता और असाधारणता उनके साहित्य में भी परिलक्षित होती है। उन्होंने एक जगह लिखा है :...
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