आधे अधूरे नाटक का प्रतिपाद्य | मोहन राकेश |

आधे अधूरे नाटक का प्रतिपाद्य — हमारा समाज विशेष रूप से नागर समाज आज सांस्कृतिक संक्रमण काल से गुजर रहा है। भौतिक सभ्यता ने हमें ऐसे कस कर पकड़ लिया है कि हम कसमसाने...