रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |

रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर। आज का तीक्ष्ण शरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेल सम्वरणशील, नील नभगर्जित स्वर, प्रतिपल परिवर्तित व्यूह भेद कौशल समूह राक्षस विरुद्ध प्रत्यूह,...