कह हुए मौन शिव पतन तनय में भर विस्मय | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |
कह हुए मौन शिव, पतन तनय में भर विस्मय सहसा नभ से अंजनारूप का हुआ उदय। बोली माता “तुमने रवि को जब लिया निगल तब नहीं बोध था तुम्हें, रहे बालक केवल, यह...
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