झीनी झीनी बीनी चदरिया | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | संत कबीरदास |
झीनी झीनी बीनी चदरिया झीनी झीनी बीनी चदरिया ।। काह के ताना काह के भरनी, कौन तार से बीनी चदरिया। इँगला पिंगला ताना भरनी, सुशमन तार से बीनी चदरिया।। आठ कमल दल चरखा डोलै,...
झीनी झीनी बीनी चदरिया झीनी झीनी बीनी चदरिया ।। काह के ताना काह के भरनी, कौन तार से बीनी चदरिया। इँगला पिंगला ताना भरनी, सुशमन तार से बीनी चदरिया।। आठ कमल दल चरखा डोलै,...
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