खिल गयी सभा । “उत्तम निश्चय यह, भल्लनाथ!” | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |
खिल गयी सभा । “उत्तम निश्चय यह, भल्लनाथ!” कह दिया ऋक्ष को मान राम ने झुका माथ। हो गये ध्यान में लीन पुनः करते विचार, देखते सकल, तन पुलकित होता बार बार। कुछ...
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