चंडी चरित्र का प्रतिपाद्य | गुरु गोविंद सिंह |

चंडी चरित्र का प्रतिपाद्य :— धर्म-युद्ध का आह्वान कोई भी कवि देश-काल निरपेक्ष होकर रचना नहीं करता। एक ओर उसका सृजन-सूत्र, किसी-न-किसी रूप में, अतीत से जडा होता है और दूसरी ओर वह. प्रत्यक्ष...