जा दिन तें वह नन्द को छोहरो । कविता की संदर्भ सहित व्याख्या। रसखान ।

  जा दिन तें वह नन्द को छोहरो या बन धेनु चराइ गयो है। मीठहि ताननि गोधन गावत बैन बजाइ रिझाइ गयो है।  वा दिन सों कछु टोनों सों के रसखानि हिये में समाइ...