छुटी चंडि जागे विसनु | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |

  छुटी चंडि, जागे विसनु , करौ युद्ध कौ साजु ।  देत सबै घटि जाहिं जिहिं, बढ़े देवतन राजु ॥10॥ छुटी चंडि जागे विसनु प्रसंग : प्रस्तुत पद्य दशम गुरु गोविंद सिंह की रचना...