धूरि भरे अति शोभित स्याम तू | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | रसखान |
धूरि भरे अति शोभित स्याम तू तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी | खेलत खात फिरें अंगना पग पैजनी बाजति पीरी कछोटी || वा छवि को रसखानि बिलोकत वारत काम-कला निज कोटी | काग...
धूरि भरे अति शोभित स्याम तू तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी | खेलत खात फिरें अंगना पग पैजनी बाजति पीरी कछोटी || वा छवि को रसखानि बिलोकत वारत काम-कला निज कोटी | काग...
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