श्रृंगार रस के दोहे बिहारी
श्रृंगार रीतिकाल की मुख्य प्रवृत्ति है। बिहारी सतसई को श्रंगार का श्रेष्ठ काव्य माना जाता है आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने भी बिहारी की कविता के प्रधान प्रवृत्ति श्रृंगारी माना है | किंतु उनकी कविता...
श्रृंगार रीतिकाल की मुख्य प्रवृत्ति है। बिहारी सतसई को श्रंगार का श्रेष्ठ काव्य माना जाता है आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने भी बिहारी की कविता के प्रधान प्रवृत्ति श्रृंगारी माना है | किंतु उनकी कविता...
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