प्रमुद – करन, सब भय-हरन | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |
प्रमुद – करन, सब भय-हरन, नाम चंडिका जासु । रचौं चरित्र विचित्र तुअ, करौ सुबुद्धि प्रकासु ॥ 5 ॥ प्रमुद – करन प्रसंग : प्रस्तुत पद्य दशम गुरु गोविंद सिंह विरचित काव्य ‘...
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