आयसु अब जो होइ ग्रंथ तो मैं रचौं | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | चण्डी- चरित्र | गुरु गोविंद सिंह |
आयसु अब जो होइ ग्रंथ तो मैं रचौं । रतन प्रमुद कर वचन चीन्ह तामैं गयौं । भाषा सुभ सब करौं धारि हौं कृत्ति में। अद्भुत कथा अपार समुझि करि चित्त में ।।...
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