कल कानन कुंडल मोर पखा उर पै | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | रसखान |
कल कानन कुंडल मोर पखा उर पै बनमाल बिराजति है। मुरली कर मैं अधरा मुसकानि तरंग महा छवि छजति है ।। रसखानि लखें तन पीत पटा सत दामिनि की दुनि लाजति है । वहि...
कल कानन कुंडल मोर पखा उर पै बनमाल बिराजति है। मुरली कर मैं अधरा मुसकानि तरंग महा छवि छजति है ।। रसखानि लखें तन पीत पटा सत दामिनि की दुनि लाजति है । वहि...
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