लोभ पाप को मूल है | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | भारतेन्दु हरिश्चंद |
लोभ पाप को मूल है, लोभ मिटावत मान । लोभ कभी नहीं कीजिए, या मैं नरक निदान ॥ लोभ पाप को मूल है प्रसंग – प्रस्तुत अंश भारतेंदु जी कृत ‘अंधेर नगरी’ प्रहसन में...
लोभ पाप को मूल है, लोभ मिटावत मान । लोभ कभी नहीं कीजिए, या मैं नरक निदान ॥ लोभ पाप को मूल है प्रसंग – प्रस्तुत अंश भारतेंदु जी कृत ‘अंधेर नगरी’ प्रहसन में...
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