सिखवति चलन जसोदा मैया | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूरदास |

  सिखवति चलन जसोदा मैया । अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरै पैया ॥ कबहुँक सुंदर बदन बिलोकति, उर आनँद भरि लेति बलैया । कबहुँक कुल देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया ॥...