हरि सा हीरा छांडि कै करै | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या| संत रविदास |

हरि सा हीरा छांडि हरि सा हीरा छांडि कै करै आन की आस । ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास ।। हरि सा हीरा छांडि कै करै प्रसंग :– इस साखी में रविदास ने नादान-नासमझ...