राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |
राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण, “हे सखा” विभीषण बोले “आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर, रघुवीर, तीर सब वही तूण में...
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