बहके सब जिय की कहत | कविता की संदर्भ सहित व्याख्या | बिहारी सतसई
बहके सब जिय की कहत, ठौर कुठौर लखैं न| छिन औरें, छिन और से, ए छबि छाके नैन || बहके सब जिय की कहत प्रसंग – कोई पूर्वानुरागिनी नायिका अपने प्रेम को नहीं छुपाने...
बहके सब जिय की कहत, ठौर कुठौर लखैं न| छिन औरें, छिन और से, ए छबि छाके नैन || बहके सब जिय की कहत प्रसंग – कोई पूर्वानुरागिनी नायिका अपने प्रेम को नहीं छुपाने...
Recent Comments