Vegetarian: अगर पृथ्वी पर सभी लोग शाकाहारी हो जाए - Rajasthan Result

Vegetarian: अगर पृथ्वी पर सभी लोग शाकाहारी हो जाए

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यह एक परिकल्पना है हम सोच रहे है अगर पृथ्वी पर सभी लोग Vegetarian हो जाए तो क्या होगा ऐसे प्रश्न हर किसी इंसान के मन में आना स्वाभाविक है हम बार-बार सोचते हैं कि यह तो क्या होगा तो हमने आज यह परिकल्पना की की पृथ्वी पर सभी लोग शाकाहारी हो जाए तो क्या होगा तो आइए जानते आप अंत तक पढ़े और यदि पसंद आए तो अपने दोस्तों के साथ शेयर भी जरुर करें धन्यवाद।।

क्या हो अगर एक दिन पृथ्वी पर सभी मांसाहारी भोजन से अपने कांटे पीछे कर ले और Vegetarian बन जाएं?

एक स्वास्थ्य जीवन शैली के लिए जानवरों के पीड़ा कम करने के लिए या फिर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए सभी अगर अपना कारण ढूंढ ले एक जूसी बर्गर को एक फूले हुए नरम आमलेट को या फिर चीजी पिज्जा को नए कहने का आइसक्रीम भी नो नो लिस्ट में चली जाए।

क्या Vegetarian डाइट इस ग्रह को क्लाइमेट चेंज से बचा लेगी?

क्या यह है हमारी सेहत सुधरेगी हमारे मवेशियों का क्या होगा? आप पढ़ रहे हैं राजस्थान रिजल्ट और यह है राजस्थान रिजल्ट मैं अगर विश्व में सभी Vegetarian हो जाए तो?

अकेले यूएस में 20 मिलियन शाकाहारी है यह 2015 में शाकाहारी लोगों से 6 गुना ज्यादा है मीट की जगह अब टोफू रेस्टोरेंट्स के मैन्यू को बढ़ रहा है और सुपरमार्केट्स की सेल फोन पर डेरी फ्री विकल्प अपनी जगह बना रहे हैं।

आप सभी को ज्ञात होगा कि विश्व में भारत एकमात्र देश है जिसमें 70% से अधिक लोग शाकाहारी हैं उनका भोजन प्रकृति पर निर्भर है उदाहरण के लिए दाल गेहूं चावल मक्का जाओ सब्जियों में मूली गाजर फूल गोभी पत्ता गोभी आदि

 

एक समय पर खाने में जो जरूरी हुआ करती थी वह अब आम होती जा रही है क्या आप जानते हैं जानवरों से मिलने वाले भोजन करीब एक चौथाई ग्रीनहाउस गैस को फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं उसमें से ज्यादातर गायों से आता है हर साल विश्व भर के मवेशियों की जनसंख्या कार्बन फुटप्रिंट छोड़ती है जो विश्व की सारी कारों ट्रेनों जहाजों और विमानों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के फैलाव के बराबर होती हैं।

Vegetarian

Vegetarian

रुकिए मवेशी वास्तव में ग्लोबल वार्मिंग में कैसे सहयोग करते हैं?

विश्व में लगभग 1.5 बिलियन गाय हैं, और हर गाय करीब 120 किलो मीथेन गैस हर साल छोड़ती है वातावरण परिवर्तन के पैमाने पर मीथेन गैस का नकारात्मक प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड से 23 गुना ज्यादा है। ऊपर से मवेशी इस ग्रह पर खेती की सारी जमीन का दो तिहाई  इस्तेमाल करते हैं अगर हम सब सहकारी हो जाएं तो हम उस चारागाह का ज्यादातर हिस्सा जंगलों और घास के मैदानों को फिर से बहाल करने में इस्तेमाल करेंगे।

 

जिससे हवा में कार्बन डाइऑक्साइड कम हो सके हम ज्यादा फसलें उगाने लगेंगे जिससे हमारे खाने के सामानों में कमी ना आए मवेशियों से जुड़े गैस फैलाव 70% तक कम हो जाएंगे पर उन खेतों के जानवरों का क्या होगा?

मांसाहारी भोजन की डिमांड ने होने पर कई जानवरों को मार दिया जाएगा या फिर छोड़ दिया जाएगा कुछ जानवर जैसे की भेड़ और सूअर शायद फिर से जंगली बन जाए पर उनकी संख्या मांसाहारी जानवरों की वजह से कम हो जाएगी।

कुछ और जानवर जैसे कि ब्रायलर मुर्गे जंगल में गुजारा नहीं कर सकेंगे क्योंकि वह अपने पूर्वजों से बहुत पहले ही अलग हो चुके हैं उन्हें समझ नहीं आएगा कि क्या करना है उनके लिए सबसे अच्छा होगा कि उन्हें पशु यारो में रखा जाए जहां जब तक वह जी रहे हैं तब तक उनकी देखरेख की जाए।

आपके पास के कसाई को कोई और काम ढूंढना होगा और कई मिलियन किसानों को भी वे और फसलें उगा सकते हैं या जंगलों को फिर से बाहर कर सकते हैं पर एक बड़े पैमाने पर ग्रामीण समुदाय जो आपको दूध अंडे और मीट पहुंचाता था उसे महत्वपूर्ण बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा।

विकासशील देश जो अपना जीवन और व्यवसाय मवेशियों पर निर्भर रहकर बनाते हैं उन्हें एक बड़ी आर्थिक रुकावट का सामना करना होगा पर सभी थोड़े सेहतमंद हो जाएंगे? अमन हो जाएंगे या फिर हम जाकर या फिर हम शाकाहारी आहार आपको अपने आप सेहतमंद नहीं बनाता Vegetarian लोगों को अक्सर जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते ।

उन्हें अधिकतर कैल्शियम आयरन विटामिन डी जिंक विटामिन b12 ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे तत्व नहीं मिल पाते क्योंकि अंडा और मीट प्रोटीन के स्रोत के तौर पर नहीं मिलेगा आपको बहुत सारा सोया बींस और दाले खानी पड़ेगी पर एक अच्छी डाइट के साथ हम कोरोनरी दिल की बीमारियों स्ट्रोक और डायबिटीज से कम प्रभावित होंगे।

वैश्विक मृत्यु दर 10% कम हो जाएगी इसका मतलब हर साल 8 मिलियन कम मृत्यु होगी और हेल्थ केयर पर एक ट्रिलियन डॉलर की बचत बचत होगी पर विकासशील देशों में नहीं जहां 2 मिलियन से ज्यादा लोग पहले ही जबरदस्त और कुपोषण का शिकार है।

मीट के बिना उनके लिए चीजें स्वस्थ नहीं बल्कि खराब होंगी पूरे विश्व का ही Vegetarian बन जाना बहुत ज्यादा हो जाएगा पर जानवरों से मिलने वाले भोजन को अपने आहार में रखने का मतलब है कि अंत में हमें गैस के फैलाव का सामना करना होगा।

संयोग से जो मांसाहारी भोजन के शौकीन हैं उनके लिए मवेशियों के उद्योग के कारण ग्रीनहाउस गैस का फैलना कम करने के आसान उपाय पहले से ही हैं बस उन्हें लागू करना बाकी है आप क्या करेंगे? क्या आप आज रात मीटबॉल पास्ता को ना कहेंगे?

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