गोदान के प्रमुख पात्रों का परिचय दीजिए |
गोदान के प्रमुख पात्रों का परिचय :—
अपने उपन्यासों के पात्रों के खोलना ही उपन्यास का मूलमंत्र है जीवन ही हमारे समक्ष उपस्थित कर देते कोई व्यक्तिगत पहचान दूसरी ओर व्यक्तिगत विवशता भी कूट-कूट कर बनी, ‘स्वयं प्रेमचंद का मानना है कि मानव-चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को ने मानव-जीवन को बहुत निकटता से देखा था। इस कारण उनके उपन्यासों के पात्र सारा हैं।
गोदान के प्रमुख पात्रों
‘गोदान’ से पहले के प्रेमचंद के उपन्यासों के पात्र मात्र वर्गगत बनकर रह गये थे, उनकी किन्तु ‘गोदान’ में ऐसी बात नहीं। ‘गोदान’ के पात्र जहाँ एक ओर वर्गगत स्वरूप लिये हुए हैं, तो वहीं रूप लिये हैं। ‘गोदान’ के प्रमुख पात्र के रूप में सबसे पहले होरी को लें। यह ठेठ किसान है। दरिद्र है।
अपनी करता है। विवशता में वह झूट भी बोल लेता है तो कभी-कभी बेशर्मी भी ओढ़ लेता है। मानवता होरी के स्वभाव में हुई है। उसके व्यवहार से किसी को कष्ट नहीं पहुँचे, इसका वह पूरा ध्यान रखता है। मजबूर भोला की गाय खरीदने के स्थान पर वह उसे मुफ्त में चारा देने को तैयार हो जाता है। साथ ही वह कहता है, “भूसे के लिए तुम गाय बेचोगे और मैं लूँगा। मेरे हाथ न कट जायेंगे।”
‘गोदान’ में पात्रों की बहुतायत है। होरी पुरुष – पात्रों में प्रथम है तो धनिया स्त्री-पात्रों में प्रथम है। विमल हृदय धनिया पतिव्रता, धर्मभीरू, भाग्यवादी एवं ममत्व से लबालब थी। यह बिना लाग-लपेट के बोलती थी। इस कारण इसके मुँह से कड़वी बात भी निकल जाती थी। विधवा झुनिया को जब इसका बेटा गोबर ब्याह लाता है तो यह सभी की आँखों में खटकने लगती है, लेकिन यह स्पष्ट कर देती है कि झूठी मान-मर्यादा के नाम पर वह मानवीयता का परित्याग नहीं करेगी।
यह अपने पति से बहुत प्रेम करती है, किन्तु इसके प्राकट्य में पारम्परिक मर्यादा का पूरा ध्यान रखती है। गोबर होरी का पुत्र है। इसे नवयुग के आक्रोशित युवा वर्ग का प्रतीक कह सकते हैं। यह शोषण सहने से इनकार कर देता है तथा इसके विरोध में बिगुल बजा उठा । यह प्रेम के रास्ते में आड़े आने झूठी मर्यादा, व्यर्थ के आदर्श और मान की धज्जियाँ उड़ाकर झुनिया का हाथ पकड़कर अपने घर ले जाता है।
विधवा झुनिया से विवाह कर गोबर एक नवीन आदर्श प्रतिस्थापित करता है। गोबर को एक अवसर पर तो होरी रोक देता है, अन्यथा वह शोषण की व्यवस्था में पहली बार बारूद फोड़ ही देता।
दातादीन जन्म और जाति से तो ब्राह्मण है, किन्तु इनके व्यवहार में अंधविश्वास एवं धूर्तता अधिक है। ये समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो धर्म के नाम पर समाज का जमकर शोषण करता है। लोगों को लगाई-बुझाई करना इनका प्रिय कार्य था। धर्मभीरू ग्रामीण जनता को लूटना ही इनका कार्य था। धर्म, मर्यादा आदि इनके लिए ढोंग रचाने के साधन थे।
‘गोदान’ के प्रमुख शहरी पात्रों में रायसाहब अमरपाल सिंह आते हैं। ये सभ्य, सुसंस्कृत और शिक्षित हैं। बड़े से बड़ा अपमान भी ये अत्यन्त धीरता से सहन कर लेते हैं। ये मानवता व समाज के लिए अपने कर्त्तव्य पूरा नहीं करने वाले को मनुष्य तक नहीं मानते। शोषण और भोग की व्यवस्था के प्रति विरक्ति की घोर अवस्था मन में होने के बाद भी विवशतावश ही उसका भाग बने रहते हैं। मालती शहरी स्त्री- में प्रमुख है।
यह आरम्भ में तो विलासिता भरा जीवन जीती है, किन्तु बाद में समस्त भोग-विलास त्यागकर गाँव के लोगों की करने में जुट जाती है। इतना ही नहीं, बल्कि मेहता को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित भी करती है। इसका मेहता के साथ प्रेम यह मेहता के साथ विवाह नहीं करती, किन्तु मित्र के रूप में रहती है। इसके मतानुसार विवाह करने से व्यक्ति बन्धनों में बंध है, जबकि मित्रता मुक्त रखती है। इनके अतिरिक्त मिर्जासाहब, नोखेराम, पटेश्वरी, मेहता, भोला आदि भी गोदान के पात्र हैं, मुख्य पात्र न होकर सहायक पात्र हैं।
ये सभी पात्र मिलकर प्रमुख पात्रों के चरित्रांकन में व कथानक के उद्घाटन में सहायक बना प्रेमचंद ने अपने महाकाव्यात्मक उपन्यास ‘गोदान’ में पात्रों की बड़ी भीड़ को लेकर जो कथानक रखा है, वह अप्रतिम एवं अद्भुत है।
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