भारत में निर्धनता (Poverty in India) भारत में गरीबी रेखा क्या है?
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए ‘वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI), 2018’ के अनुसार, भारत में 2005-06 के पश्चात एक दशक दौरान लगभग 270 मिलियन से अधिक लोग निर्धनता से मुक्त हुए हैं। परंतु अभी भी 28.5% भारतीय जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।
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भारत में निर्धनता का प्रतिशत क्या है?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005-06 में भारत के करीब 64 करोड़ लोग (55.1 प्रतिशत) गरीबी में थे. यह संख्या घटकर 2015-16 में 36.9 करोड़ (27.9 प्रतिशत) पर आ गयी. इस प्रकार, भारत ने बहुआयामी यानी विभिन्न स्तरों और उक्त 10 मानकों में पिछड़े लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उल्लेखनीय प्रगति की है
भारत में निर्धनता का आकलन कौन करता है?
भारत में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम आधिकारिक ग्रामीण और शहरी निर्धनता रेखाओं के निर्धारण की शुरुआत वर्ष 1979 में वाई के अलघ समिति द्वारा की गई तथा प्रथम बार आधिकारिक निर्धनता आकलन का आरंभ हुआ।
भारत में गरीबों की संख्या कितनी है?
वैश्विक MPI के अनुसार, वर्ष 2005-2006 में पूरे भारत में 640 मिलियन से अधिक लोग बहुआयामी गरीबी में थे। वर्ष 2016-2017 तक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या घटकर 369.55 मिलियन हो गई। अनुमान के मुताबिक वर्ष 2016-17 में भारत की 27.9 फीसदी आबादी गरीब थी।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है। भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह हेतु खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रमुख माना जाता है।
भारत में गरीबी रेखा क्या है?
गरीबी रेखा आय के उस स्तर को कहते हैं जिससे कम आमदनी होने पर इंसान अपनी भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। गरीबी रेखा एक ऐसी रेखा है, जो गरीब के ऊपर से और अमीर के नीचे से निकलती है। यह परिभाषा किसी भी मायने में सैद्वान्तिक न हो परन्तु व्यावहारिक और जमीनी परिभाषा इससे अलग नहीं हो सकती है।
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कौन करता है?
योजना आयोग (अब नीति आयोग) हर वर्ष के लिए समय-समय पर गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात का सर्वेक्षण करता है जिसके सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय का राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) बड़े पैमाने पर घरेलू उपभोक्ता व्यय के सैंपल सर्वे लेकर कार्यान्वित करता है।
विभिन्न देश विभिन्न निर्धनता रेखा का प्रयोग क्यों करते हैं?
करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित • विभिन्न देश विभिन्न निर्धनता रेखाओं का प्रयोग क्यों करते हैं? कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित है। खाद्य वस्तुएँ जैसे-अनाज, . … आदि के आधार पर कैलोरी आवश्यकताएँ बदलती रहती हैं।
निर्धनता रेखा से क्या आशय है?
गरीबी रेखा या निर्धनता रेखा (poverty line) आय के उस स्तर को कहते हैं जिससे कम आमदनी होने पे इंसान अपनी भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। गरीबी रेखा अलग अलग देशों में अलग अलग होती है। उदाहरण के लिये अमरीका में निर्धनता रेखा भारत में मान्य निर्धनता रेखा से काफी ऊपर है।
निर्धनता की पहचान कैसे होती है?
खंड 4.2 तथा 4.3 में आपने पढ़ा है कि निर्धनों की पहचान केवल उनकी कम आय और व्यय ही नहीं है। इसके और कई लक्षण भी हैं: जैसे, भूमि, निवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वच्छता आदि के अभाव। साथ ही भेदभावपूर्ण व्यवहार आदि भी निर्धनता का ही एक लक्षण है।
गरीब कौन है?
इनके गुर्गे गरीब राज्यों से मेहनत-मजदूरी करने के लिए आने वालों को टारगेट कर लेते हैं, उन्हें बहाने से अपने जाल में फंसाकर बाकायदा भीख मांगने की ट्रेनिंग दी जाती है। बड़े स्टेशनों पर उतरते ही काला चश्मा लगाए किसी को भीख मांगते देख लोग उसे अंधा समझ रुपये दे देते हैं।
भारत गरीब क्यों है?
छत्तीसगढ़ की करीब 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। … लेकिन रिपोर्ट दिखाती है कि भारत की अधिकांश गरीब आबादी ग्रामीण क्षेत्रों और कम आय वाले राज्यों में केंद्रित है।
किसी व्यक्ति को गरीब कब माना जाता है?
जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। इस विशेषज्ञ समूह में अखिल भारतीय स्तर पर 2011-2012 में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹972 प्रति व्यक्ति प्रति माह व्यय तथा शहरी क्षेत्रों के लिए 1407 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति माह व्यय को गरीबी रेखा का आधार माना है।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कितने वर्ष के बाद होता है?
(i) भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55 प्रतिशत से वर्ष 1993 में 36 प्रतिशत तक महत्वपूर्ण गिरावट आयी है। (ii) गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात 2000 में करीब 26 प्रतिशत नीचे आ गया। (iii) यदि प्रवृत्ति जारी है, तो गरीबी रेखा के नीचे वाले लोग अगले कुछ वर्षों में 20 प्रतिशत से भी कम कर सकते हैं।
गरीबी रेखा क्या है?
(1) पूर्ण निर्धनता (Absolute Poverty):
पूर्ण निर्धनता का अर्थ है देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुये निर्धनता का माप । इस सम्बन्ध में अर्थशास्त्रियों ने निर्धनता की अनेक परिभाषाएं दी हैं परन्तु बहुत से देशों में निर्धनता की परिभाषा प्रति व्यक्ति कैलोरी की खपत तथा उपभोग के न्यूनतम स्तर के सन्दर्भ में की गई है ।
भारत में गरीबी के कौन से प्रकार को स्वीकार किया गया है?
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति माह 972 रुपये (32 रुपये प्रतिदिन) से कम खर्च करने वाले लोगों को गरीबी की श्रेणी में रखा है, जबकि तेंदुलकर समिति ने यह राशि 816 रुपये प्रति माह (27 रुपये प्रतिदिन) निर्धारित की थी।
निर्धनता की समस्या के मुख्य कारण क्या है कोई दो?
भारत में निर्धनता प्रमुख कारण निम्न है । (i) जनसंख्या में उच्च दर से वृद्धि । (ii) शोषण – निरक्षरता के कारण कारीगर, मजदूर और किसानों का हर कोई शोषण करता है जिससे उचित मजदूरी नहीं मिल पाती और निर्धनता बढता ही जाता है। (iii) भूमी संसाधनों में कमी और बेरोजगारी ।
निर्धनता की परिभाषा का मूल आधार क्या है?
निर्धनता वह सामाजिक स्थिति है जिसमें समाज का एक भाग अपने जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं की संतुष्टि करने में असमर्थ रहता है। निर्धनता की परिभाषा का मूल आधार क्या है? निर्धनता की परिभाषा का मूल आधार न्यूनतम या अच्छे जीवन-स्तर की कल्पना है।
निर्धनों में सबसे निर्धन कौन है?
निर्धनों में भी सबसे निर्धन कोन हैं? महिलाएँ, शिशु (विशेषकर बच्चियाँ) और वृद्ध निर्धनों में भी निर्धन होते हैं। उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं। आर्थिक समूह: ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार तथा नगरीय अनियत मजदूर परिवार ।
कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए क्यों उपयुक्त नहीं है?
कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए क्यों उपयुक्त नहीं है? उत्तर : कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि 2100/2400 कैलोरी एक मनुष्य जैसा जीवन जीने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह एक संतुलन आहार की आवश्यकता को महत्त्व नहीं देता।
भारत में निर्धनता के विभिन्न कारण कौन कौन से हैं?
भारत में निर्धनता के कारण (Causes of Poverty in India)
(1) अधिक जनसंख्या …
(2) जाति प्रथा …
(3) कृषि पर अत्यधिक निर्भरता …
(4) कालाबाजारी …
(5) अज्ञानता एवं अंधविश्वास …
(6) बेरोजगारी …
(8) प्रतिकूल जलवायु …
भारत में गरीबी मापने का प्रथम प्रयास कब किया गया था?
भारत में निर्धनता आंकलन के मापदंड (Parameter for Assessment of Indian Poverty) भारत में निर्धनता आंकलन के मापदंड इस प्रकार हैः 1960 का … 1960 का दशकः भारत में पहली बार गरीबी-रेखा के निर्धारण का प्रयास योजना आयोग द्वारा 1962 में किया गया।
गरीबी का निर्धारण करने के लिए इनमें से कौन सी प्रणाली अपनाई जाती है?
कैलोरी से जोड़ना नाकाफी
अभी तक जो व्यवस्था चली आ रही है उसमें व्यक्ति को दिन भर में कितनी कैलोरी उर्जा भोजन से मिलती है उसके आधार पर तय करते हैं कि व्यक्ति गरीब है या नहीं. अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला का कहना है कि गरीबी रेखा तय करने के लिए ये पैमाना नाकाफी है कि कि कोई व्यक्ति रोजाना कितनी कैलोरी का भोजन कर रहा है।
कैसे भारत में गरीबी को कम करने के लिए?
गरीबी खत्म करने के लिए सबसे जरूरी है शिक्षा। लोगों को शिक्षित और हुनरमंद बनाया जाना चाहिए। साथ ही स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन सही से होना चाहिए, जिससे बेरोजगारी को कम किया जा सके। अगर देश में गरीबी उन्मूलन अभियान को सार्थक बनाना है, तो जनता को सिर्फ साक्षर नहीं शिक्षित करना होगा।
सबसे गरीब राज्य कौन है?
सबसे गरीब राज्यों की सूची में झारखंड पहले नंबर पर आता है। दोस्तों झारखंड ऐसा प्रदेश है जहाँ 37 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। हालाँकि झारखंड का कुछ हिस्सा काफी तेजी से विकास पर है। आपको नहीं पता तो बता दें इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर मणिपुर आता है।
भारत का सबसे गरीब व्यक्ति कौन है?
भारत के 10 सबसे गरीब राज्य GDP के आधार पर
अरुणाचल प्रदेश – GDP ₹20,259 करोड़
मणिपुर – GDP ₹21,066 करोड़
नागालैंड – GDP ₹21,488 करोड़
सिक्किम – GDP ₹22,248 करोड़
मेघालय – GDP ₹27,228 करोड़
त्रिपुरा – GDP ₹34,368 करोड़
गोवा – GDP ₹70,400 करोड़
हिमाचल प्रदेश – GDP ₹1.52 लाख करोड़
विभिन्न देशों में गरीबी रेखा अलग क्यों है?
समय-समय पर इसके पैमाने में बदलाव भी किये गए हैं हालाँकि विश्व के अधिकांश देशों में गरीबी को मापने का आधार किसी न किसी रूप में आय से ही संबंधित रहा है। भारत जैसे विकासशील और बड़ी आबादी वाले देश में बदलते समय के साथ देश के विभिन्न राज्यों की अलग-अलग परिस्थितियों को देखते हुए यह प्रश्न और भी प्रासंगिक हो जाता है।
कौन गरीब है किस आधार पर गरीबी की पहचान की जा सकती है?
विश्व बैंक $1 या $2 न्यूनतम आय के आधार पर गरीबी रेखा निर्धारित करता है। इसके अनुसार $2 से कम आय वाले लोग गरीब तथा $1 से कम आय वाले लोग गरीबी रेखा से नीचे माने जाते हैं। विश्व बैंक की ‘विश्व विकास सूचक’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार विश्व में निर्धन लोगों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
क्या आपके विचार से भारत एक गरीब देश है अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए?
संक्षेप में मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत अपनी गलत आर्थिक नीतियों और दृष्टिकोण के कारण गरीब है। हम अपनी संपदा को अनुत्पादक कामों में जाया कर रहे हैं. हमने अपने यहां उद्यमियों का दमन किया है और नौकरशाहों की ताकत में इजाफा किया है। सरकार ने जिस उद्योग को छूआ उसने उसे अनुत्पादक बना दिया।
भारत में गरीबी दूर करने के उपाय
गरीबी दूर करने के लिए गरीब को मेहनत करनी होगी, उसे शिक्षित होना होगा। वर्तमान में जो भी गरीबी दूर करने के लिए सरकारी योजनाएं हैं, वे सब वोट बैंक बढ़ाने के लिए है। गरीबी खत्म करने के लिए सरकार गरीबों के लिए चल रही समस्त फ्री स्कीमों को खत्म कर केवल मुफ्त शिक्षा एवं चिकित्सा दे। साथ ही उद्योगों को प्रोत्साहन दे।
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