जिला प्रशासन: कार्य, शक्तियां एवं महत्त्व: Jila Prashaasan - Rajasthan Result

जिला प्रशासन: कार्य, शक्तियां एवं महत्त्व: Jila Prashaasan

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भौतिक तथा मानवीय परिस्थितियों में एक उममहाद्वीप की तरह लगने वाले इस देश की सम्पूर्ण शासन-व्यवस्था को प्रत्येक गांव तथा नगर तक चलाने के लिए कई इकाइयां मिलकर कार्य करती हैं । जिले की महत्त्वपूर्ण इकाई के लिए प्रशासन की जो व्यवस्था है, उसे जिला प्रशासन कहा जाता है ।

जिला प्रशासन के कार्य

1. कैबिनेट सचिव भारत सरकार का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है जबकि मुख्य सचिव किसी भी राज्य सरकार का सबसे बड़ा अधिकारी होता है।

2. मुगल काल में जिला को सरकार तथा जिलाधीश को किरोडी फौजदार कहा जाता था।

3. मूल संविधान के केवल अनुच्छेद 233 में जिला शब्द का उल्लेख था। 73 वे, 74 वे संविधान संशोधन के बाद कई अनुच्छेदों में जिला शब्द का उल्लेख है।

4. अनुच्छेद 243 में यह उल्लेखित है कि जिला शब्द को परिभाषित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

5. 1772 में पहली बार जिलाधीश का पद वारेन हेस्टिंग द्वारा स्थापित किया गया था शुरुआती दौर में राजस्व वसूलना उनका मुख्य काम था।

6. 1813 में लॉर्ड मेंकेजी ने जिलाधीश को दाडिक शक्तियां दी 1813 से ही जिलाधीश को जिला मजिस्ट्रेट कहा जाने लगा।

7. संविधान सभा में अखिल भारतीय सेवाओं को समाप्त करने पर विचार हुआ था लेकिन सरदार पटेल के कारण अखिल भारतीय सेवाएं संविधान में शामिल की गई।

8. अनुच्छेद 50 में यह उल्लेखित है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका को अलग अलग किया जाएगा।

9. किसी भी राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का आवंटन उस राज्य सरकार की मांग पर भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा किया जाता है आईएएस के कैडर आवंटन का कार्य भी कार्मिक मंत्रालय करता है।

10. राजस्थान में भारतीय सेवा के अधिकारी राज्य सरकार के कार्मिक विभाग के अधीन होते हैं लेकिन जब उन्हें जिलाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है तो वह सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन हो जाते हैं।

जिला प्रशासन

जिला प्रशासन

जिलाधीश की भूमिका

1. विश्व में जिलाधीश के समक्ष कोई पद नहीं है हालांकि फ्रांस के प्रीफेक्ट के साथ इसकी तुलना की जाती है।

2. रेमजेम मैकडॉनल्ड के अनुसार भारत में जिलाधीश उस कछुए की भांति है जिस पर हाथी जैसा भार लाद दिया गया है।

3. लॉर्ड वेवेल के अनुसार भारतीय पुणे जिलाधीश जैसी करिश्मा बादी संस्था स्थापित करने के लिए अवश्य याद करेंगे ।

4. जिलाधीश चुनाव के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं वह लोकसभा विधानसभा तथा स्थानीय निकायों के चुनाव में इस रूप में कार्य करते हैं चुनाव के लिए वह अपने अधीन आने वाले किसी भी अधिकारी के ड्यूटी लगा सकते हैं तथा लापरवाही होने पर उन्हें निलंबित कर सकते हैं ।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 तथा 1951 के तहत उन्हें यह शक्तियां दी गई हैं I

5. जिला में कानून व्यवस्था बनाए रखना जिलाधीश का कार्य है वह जिला के पुलिस थानों का निरीक्षण कर सकता है।

6. वह जिला पुलिस की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकार के गृह विभाग को भेजता है।

7. जिलाधीश धारा 144 लगाने तथा गोली चलाने का आदेश दे सकता है।

8. पासपोर्ट अथवा बंदूक के लाइसेंस से कार्य संपादित करता है।

9. धरना प्रदर्शन अथवा रैली की अनुमति प्रदान करना जिलाधीश का कार्य है।

10. जिलाधीश रात्रि पोस्टमार्टम करने की अनुमति देते हैं | 11. गिरदावरी जिलाधीश के माध्यम से राज्य सरकार को भेजी जाती है जिले में दिए गए ऋणों की वसूली करना जिलाधीश का ही कार्य है। जिलाधीश जिला कोषागार का संरक्षक होता है।

12. जिलाधीश जिला प्रोटोकॉल अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं इस रूप में वह जिला में आने वाली सभी विशिष्ट जन से प्रोटोकॉल को देखते हैं।

13. आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत जिलाधीश जिला स्तर पर गठित किए गए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का अध्यक्ष होता है।

1 जनवरी 2011 से राजस्थान के जयपुर में जोधपुर जिले में कमीशन रेट प्रणाली लागू की गई है अर्थात इन जिलों में कानून और व्यवस्था बनाए रखना जिलाधीश का कार्य ने होकर कमिश्नर का कार्य होता है जो कि भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी होता है कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने से जिलाधीश की भूमिका में कमी आई है।

73वे 74वे संशोधन के तहत स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा दिया गया है इन संशोधनों से पहले जिलाधीश नियामक था अब उनकी भूमिका समन्वयक होती है।

एसएस खैराने डिस्टिक एडमिनिस्ट्रेशन नामक पुस्तक लिखी है।

वर्ष 2005 में गठित द्वितीय प्रशासनिक आयोग सुधारने कुल 15 रिपोर्ट दी थी उनकी पांचवी रिपोर्ट लोग व्यवस्था तथा 15 भी रिपोर्ट राज्य व जिला प्रशासन पर है।

प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ 2006 के मामले का संबंध पुलिस सुधारों से है इस मामले में न्यायालय ने पुलिस सुधार के लिए सरकार को कुछ निर्देश दिए थे इन्हीं निर्देशों के आधार पर 2006 में मॉडल पुलिस एक्ट 2006 बनाया गया था इसी आधार पर राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 बनाया गया।

उपखंड अधिकारी

जिला स्तर पर जो कार्य जिलाधीश द्वारा किए जाते हैं उपखंड स्तर पर वह सभी कार्य एसडीओ द्वारा किया जाते हैं। उपखंड अधिकारी को जिलाधीश के अधिक हाथ अधिक कान अधिक आंखें कहा जाता है ।

कानून व्यवस्था के संदर्भ में एसडीओ पुलिस थानों में जिलाधीश के मध्य तथा राजस्व संबंधी मामलों में एसडीओ तहसीलदार व जिलाधीश के मध्य लिंक का कार्य करता है।

यह पद मुख्यतः राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए आरक्षित है लेकिन कभी-कभी नवनियुक्त आईएएस अधिकारी को भी इस पद पर नियुक्त किया जाता है।

सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाते हैं पेट्रोल पंप इत्यादि के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करते हैं तथा जाति प्रमाण पत्र से संबंधित मामलों को सुनते हैं।

तहसीलदार

राजस्थान् तहसीलदार सेवा के अधिकारी को इस पद पर नियुक्त किया जाता है आरटीएस अधिकारी की पहली नियुक्ति नायब तहसीलदार के रूप में होती है नायब तहसीलदार के दो तिहाई पद आरटीएस अधिकारियों से भरे जाते हैं जबकि नायब तहसीलदार के एक तिहाई पद भू राजस्व निरीक्षकों को पदोन्नत कर भरे जाते हैं।

भू राजस्व निरीक्षकों के सभी पद पटवारी को पदोन्नत कर भरे जाते हैं पटवारी की भर्ती राजस्व मंडल अजमेर द्वारा की जाती है।

यह चारों पदाधिकारी राजस्व से संबंधित कार्य करते हैं तहसीलदार को ₹   200 का जुर्माना लगाने तथा छह माह की सजा देने की शक्ति प्राप्त है। राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी तहसीलदार की है।

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