भौतिक भूगोल क्या है? | Physical geography
हम सब सामान्यता जानते हैं कि भूगोल में कब क्या हुआ जैसे पृथ्वी की उत्पत्ति, पहाड़ों की उत्पत्ति, समुंदर की उत्पत्ति, भूकंप ज्वालामुखी इत्यादि की बात भौतिक भूगोल में करते हैं आइए जानते हैं l
भौतिक भूगोल के दो भाग होते हैं :-
- क्रमबद्ध भूगोल
- प्रादेशिक भूगोल |
Table of Contents
क्रमबद्ध भूगोल
जब एक निश्चित कारक को लेकर (भौतिक विशेषताएं, जलवायु, कृषि) समस्त पृथ्वी का अध्ययन किया जाता है इसे क्रमबद्ध भूगोल कहा जाता है।
प्राचीन क्रमबद्ध भूगोल का पिता = इरेटोस्थनीज
आधुनिक क्रमबद्ध भूगोल का पिता = अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट
प्रादेशिक भूगोल
समस्त कारकों को लेकर यदि किसी निश्चित प्रदेश या क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है उसे प्रादेशिक भूगोल कहते हैं।
प्राचीन प्रादेशिक भूगोल का पिता = हिकेटियस
आधुनिक प्रादेशिक भूगोल का पिता = कार्ल रिटर
भौतिक भूगोल
स्थलमंडल यानी पृथ्वी का आंतरिक मंडल
वायुमंडल यानी जलवायु विज्ञान
जलमंडल यानी समुद्र विज्ञान
जैवमंडल यानी पारिस्थितिकी तंत्र
जैवमंडल
जैवमंडल स्थल मंडल तथा वायुमंडल कब है सकर्मक क्षेत्र होता है जहां पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन की उपस्थिति के कारण जीवन संभव होता है।
प्रथम श्रेणी के उच्चावच = महाद्वीप, महासागर
द्वितिय श्रेणी के उच्चावच = अर्तजात बलो द्वारा
तृतीय श्रेणी के उच्चावच = बर्हिजात बलों द्वारा
पृथ्वी का आन्तरिक भाग
1. पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बंधित प्रमाण
(A) मॉल्टन एवं चेम्बरलिन का ग्रहाणु सिद्धान्त
(B) जीन्स तथा जेफ्रेका ज्वारीय सिद्धन्त
2. अप्राकृतिक स्रोत
(A) घनत्व
(B) दाब
(C) तापमान
3. प्राकृतिक स्रोत
(A) ज्वालामुखी
(B) भुकम्प
1. पृथ्वी की उत्पत्ति मे सम्बन्धित प्रमाण
पृथ्वी के आंतरिक भाग की संरचना को जानने के लिए पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित प्रमाणों का सहारा लिया गया।
(i) ग्रहाणु सिद्धान्त = मॉल्टन तथा चेंबरलिन बताया कि पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य तथा उसके समीप बड़े तारे की आकर्षण शक्ति के कारण मध्य भाग में ग्रहाणुओं निर्माण हुआ और इन ग्रहाणुओं के संगठित होने से पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों का निर्माण हुआ अतः पृथ्वी का आंतरिक भाग को ठास होना चाहिए।
(ii) जीन्स तथा जेफ्रेका ज्वारीय सिद्धन्त = इस संकल्पना के द्वारा पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य से अलग होकर प्लाज्मा के कुछ भाग से हुई धीरे-धीरे तापमान कम होने से पृथ्वी की ऊपरी सतह ठोस अवस्था में परिवर्तित हो गई लेकिन आंतरिक भाग अभी भी द्रव अवस्था में मौजूद है I
2. अप्राकृतिक स्रोत
(A) घनत्व = रिमोट सेंसिंग उपग्रह या सुदूर संवेदी उपग्रह की सहायता से ज्ञात हुआ कि पृथ्वी का औसत घनत्व 5.517 gm/cm2 है जबकि पृथ्वी की ऊपरी सतह का घनत्व 2.9 gm/cm2 है। पृथ्वी के केंद्र का घनत्व इससे कई गुना होना चाहिए।
(B) दाब – पृथ्वी के आंतरिक भाग का अधिक घनत्व होने का प्रमुख कारण ऊपर की चट्टानों द्वारा लगने वाला दबाव है।
(C) तापमान – लिविंग के अनुसार प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस वृद्धि होती है इस दर से पृथ्वी के केंद्र का तापमान 2 लाख सेल्सियस होना चाहिए जोकि संभव नहीं है। यद्यपि पृथ्वी के आंतरिक भाग में तापमान में निरंतर वृद्धि होती है लेकिन तापमान वृद्धि दर में कमी पाई जाती है।
100 KM – 12° c/km
101-300 Km – 2° C/KM
301 – 6371 KM – 1° C/KM
पृथ्वी के ऊपरी भाग में तापमान वृद्धि दर बढ़ने का प्रमुख कारण इसमें पाए जाने वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ जिन की मात्रा पृथ्वी के केंद्र की ओर कम होती चली जाती है I
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