रणथंबोर के चौहान वंश: Chauhan dynasty of Ranthambore
रणथंबोर के चौहान वंश की स्थापना/ रणथम्भौर के चौहान वंश का संस्थापक कौन था पृथ्वीराज चौहान के पुत्र गोविंद राज चौहान ने की थी इसमें मोहम्मद गौरी की अधीनता स्वीकार की थी।
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रणथंबोर के चौहान वंश
वल्लनदेव चोहान
यह दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के समकालिन था। इल्लतुतमिश ने वल्लनदेव चोहान इस समय रणथंबोर दुर्ग पर अधिकार किया वल्लम देव चौहान को पहाड़ों में शरण लेनी पड़ी इसके बाद प्रह्लाद व वीरनारायण नामक कमजोर शासक हुए।
वागभट्ट चोहान
रणथंबोर का प्रतापी शासक था रजिया सुल्तान के समकालीन था इसमें रणथंबोर दुर्ग पर पूर्ण अधिकार किया|
जयसिम्हा /जेत्रसिह
यह सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद और बलबन के समकालीन था दोनों ने ही रणथंबोर किले पर आक्रमण किया था परंतु बलवन ने नसीरुद्दीन महमूद के काल में रणथंबोर पर आक्रमण किया था |
हम्मीर देव चोहान 1282-1301 ईसवी
यह रणथंबोर का सबसे प्रतापी शासक था किसके काल में सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी ने 1291 1292 में दो बार रणथंबोर अभियान किया परंतु रणथंबोर दुर्ग में विजय प्राप्त नहीं कर सका |
1291 ईसवी में जलालुद्दीन खिलजी के रणथंबोर अभियान के समय हम्मीर का सेनापति गुरुदास सैनि वीरगति को प्राप्त हुआ।
1292 ईस्वी में जलालुद्दीन खिलजी ने रणथंबोर के दूसरा बयान के समय इसके लेखक गिरा उठाते समय कारण पूछने पर अपने सेनापति मलिक अहमद चप से कहा था कि ऐसे 10 किलो को भी में मुसलमान के एक बाल के बराबर नहीं समझता हूं।
अलाउद्दीन खिलजी के रणथंबोर अभियान के प्रमुख कारण :-
1. अमीर खुसरो ने अपने ग्रंथ खजाईन-उल- फतुह में अलाउद्दीन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को प्रमुख कारण बताया है|
2. पद्मनाभ द्वारा लिखित का कान्हदेव प्रबंध के अनुसार गुजरात से लौटती शाही सेना के दो भागों में लूट के बंटवारे को लेकर परस्पर युद्ध हुआ। इसमें मोहम्मद शाह और केहब्रु ने पराजित होकर हम्मीर देव चौहान के पास शरण ली जो युद्ध का एक कारण माना।
3. चंद्रशेखर द्वारा रचित हम्मीर हठ के अनुसार अलाउद्दीन के हरम की एक बेगम चिमना और मोहम्मद शाह के बीच प्रेम प्रसंग था। जिसकी जानकारी सार्वजनिक होने पर मोहम्मद शाह ने केहब्रु के साथ हम्मीर देव चौहान के पास शरण ली जो युद्ध का एक कारण था |
झाईन का दुर्ग कहा है:— सवाईमाधोपुर जिले के खंडार क्षेत्र में
अलाउद्दीन खिलजी ने उलुग खा नुसरत खान के नेतृत्व में रणथंबोर सैन्य अभियान भेजा था | जब तुर्क सेना ने झाइन के किले पर अधिकार कर लिया था तब इनका सामना करने हेतु हम्मीर देव चौहान ने दो सेनापतियों को भेजा ।
- धर्मसिंह
- भीमसिंह
इसमें भीम सिंह वीरगति को प्राप्त हुआ इस समय हम्मीर देव चौहान मुनी ब्रत या मौन व्रत में व्यस्त था। उलुक खां नुसरत खान ने रणथंबोर के किले को घेर लिया। इस घेरा बंदी के काल में नुसरत खां मारा गया। अतः मुस्लिम सेना में हताशा फैल गयी। अतः उलुग खान ने अलाउद्दीन खिलजी को स्थिति की जानकारी प्रदान की ।
अलाउद्दीन खिलजी ने विशाल सेना लेकर रणथंबोर की ओर चला परंतु तिलपत नामक स्थान पर उसी के भतीजे अक्त खा ने उसे मारने का यह सफल प्रयास किया।अलाउद्दीन खिलजी रणथंबोर आकर किले के घेरे को सुदृढ़ किया तथा सेना छोड़कर जाने वाले सैनिकों के लिए अर्द्धदण्ड की घोषणा की ।
इस अभियान में अलाउद्दीन खिलजी ने हम्मीर देव चौहान के विरुद्ध निम्नलिखित यंत्रों का प्रयोग किया :-
- मर्रादा
- मजनीक
- गरगच
हमीर देव चौहान ने अलाउद्दीन के खिलाफ ढेलुकी नामक यंत्र का प्रयोग किया ।
अलाउद्दीन खिलजी ने ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया जिसे पाशेव कहा गया । अलाउद्दीन खिलजी ने हम्मीर देव चौहान के साथ संधि करने हेतु प्रस्ताव रखा जिसे हम हमीर देव ने स्वीकार किया और अपनी ओर से दो प्रतिनिधि अलाउद्दीन खिलजी के पास भेजें जो निम्नलिखित हैं :-
- रणमल
- रतिपाल
इन दोनों को राज्य का लालच देकर अलाउद्दीन ने अपनी और मिलाया था । इन दोनों से किले का गुप्त मार्ग जान लिया था इस समय रणथंबोर किले में शाखा हुआ। हम्मीर देव चौहान की पत्नी का नाम जिसमें (जल) जोहर का नेतृत्व रानी रंग या गंग देवी और केसरिया का नेतृत्व स्वयं हम्मीर देव चौहान ने किया । यह राजस्थान का प्रथम साका माना जाता है महिलाओं ने पद्मला तालाब में रंग देवी के नेतृत्व में जल जोहर किया था |
रणथम्भौर का युद्ध कब हुआ:— इलियट के अनुसार 11 जुलाई 1301 को अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंबोर पर अधिकार किया ।
अलाउद्दीन खिलजी ने मोहम्मद शाह को हाथी के पैरों तले को कुचलवा दिया तथा रणमल व रतीपाल को भी मृत्युदंड दिया अलाउद्दीन खिलजी के रणथंबोर की जानकारी निम्नलिखित ग्रंथों से मिलती है :-
- नयन चंद्र सूरी हम्मीर महाकाव्य
- जोधराज हम्मीर रासो
- चंद्रशेखर हम्मीर हठ (हम्मीर हठ के लेखक)
- अमीर खुसरो खजाइन-उल-फुतुहु
- सूर्यमल मिश्रण वंश भास्कर
- पद्मनाभ कान्हड देव प्रबंध
बीजदित्य हम्मीर देव का दरबारी विद्वान था हम्मीर रणथंबोर के चौहान वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था। हम्मीर देव ने अपने जीवन काल में कुल 17 युद्ध किए जिनमें 16 में विजयी रहा। हम्मीर देव चौहान इतिहास में अपने हठ के लिए जाना जाता है ॥
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