राज्यों के पुनर्गठन किस आधार पर किया गया? जाने - Rajasthan Result

राज्यों के पुनर्गठन किस आधार पर किया गया? जाने

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हम इस लेख में बात करेगे कि स्वतंत्रता के पश्चात किस आधार पर राज्यों के पुनर्गठन किया गया व क्या क्या परेशानिया छेलनी पड़ी। आपको इस लेख में संपूर्ण जानकारी मिलेगी इसलिए आप सभी से आग्रह हैं कि लेख को अन्त तक जरूर पढ़े धन्यवाद

राज्यों के पुनर्गठन

अनुच्छेद 2 में नए प्रदेशों को भारतीय राज्य क्षेत्र में शामिल करने की प्रक्रिया का उल्लेख है जबकि अनुछेद 3 में भारत के राज्य क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की प्रक्रिया का उल्लेख है।

राज्यों के गठन के आधार का उल्लेख संविधान में नहीं है इस संदर्भ में सभी निर्णय संसद करती है भारत में अब तक नए राज्यों का गठन निम्न आधारों पर होता रहा है।

A) भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश

B) भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर उत्तराखंड

C) जन जाति के आधार पर छत्तीसगढ़ व झारखंड

D) प्रशासनिक आधार या पिछड़ापन के आधार पर तेलंगाना

 

स्वतंत्रता के समय भारत दो प्रकार का था एक अंग्रेज भारत दूसरा देसी भारत

अंग्रेज भारत को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

a) प्रांतीय राज्य 9

b) चीफ़ कमिश्नरी प्रांत 4

1949 में नए राज्यों का गठन किस आधार पर किया जाए इस हेतु कांग्रेस द्वारा जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल तथा पट्टाबी सीतारामय्या (J.V.P.) की एक समिति का गठन किया गया जेवीपी समिति ने भाषा के आधार पर नए राज्य के गठन से इनकार कर दिया।

राज्यों के पुनर्गठन

राज्यों के पुनर्गठन

संविधान लागू होते समय भारत में चार प्रकार के राज्य थे जो निम्नलिखित हैं

A) ब्रिटिश प्रांत

B) चीफ़ कमिश्नरी प्रांत

C) देशी रियासतें

D) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

 

1952 में हैदराबाद में आंध्र प्रदेश राज्य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में कांग्रेसी नेता पुटु राम्मुलु का निधन हो गया| 1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर पहला राज्य गठन हुआ।

राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थापित किया गया यह पहला वह एकमात्र आयोग है। जस्टिस फजल अली इसके अध्यक्ष थे जबकि के. एम. पन्नीकर व हृदय नाथ कुजरू इसके 2 सदस्य थे 1955 में इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी।

राज्य पुनर्गठन आयोग ने भी भाषा के आधार पर नए राज्य के गठन से इनकार किया इस आयोग की सिफारिशों को लागू करने हेतु सातवा संशोधन किया गया जो कि 1 नवंबर 1956 को लागू हुआ 7 वें संविधान संशोधन द्वारा राज्यों के चारों प्रकार की श्रेणियां समाप्त कर दी गई व उनके स्थान पर दो श्रेणियां स्थापित की गई जो निम्नलिखित हैं

A) राज्य 14

B) संघ शासित प्रदेश 6

1960 में बॉम्बे का विभाजन किया गया मराठी भाषी महाराष्ट्र तथा गुजराती भाषी गुजरात राज्य का गठन किया गया | 1961 में ऑपरेशन  द्वारा गोवा को पुर्तगाल से पुनः प्राप्त किया गया। और 1987 में गोवा को 25 व राज्य बनाया गया।

1966 में PEPSU का विभाजन कर पंजाब तथा हरियाणा दो नए राज्य और हिमाचल प्रदेश में चंडीगढ़ दो नए संघ शासित प्रदेश बनाए गए। चंडीगढ़ एकमात्र संघ शासित प्रदेश है जहां प्रशासक को चीफ कमिश्नर कहा जाता है।

1966 से 1984 तक चंडीगढ़ में चीफ कमिश्नर की अलग से नियुक्ति की जाती थी 1984 से पंजाब के राज्यपाल को चंडीगढ़ के प्रशासन का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है।

1975 में 35 वें संशोधन द्वारा सिक्किम को सहराज्य बनाया गया 36 वें संशोधन द्वारा 1975 में ही सिक्किम का सहराज्य का दर्जा समाप्त कर उसे उन्हें राज्य बनाते हुए अनुच्छेद 371 F के तहत सिक्किम के लिए विशेष प्रावधान किए गए।

1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड तथा 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य की स्थापना हुई।

2010 में तेलंगाना की समस्या पर विचार करने हेतु बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में आयोग गठित किया गया इस आयोग ने आंध्र प्रदेश राज्य के विभाजन तथा हैदराबाद को संघ शासित प्रदेश बनाने की अनुशंसा की थी। 2 जून 2014 को तेलंगाना 29 वा राज्य बना।

9 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के विभाजन के संदर्भ में विवेक रखा गया जो कि 31 अक्टूबर 2019 को लागू हुआ। इसके द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन किया गया और जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख नामक दो नए संघ शासित प्रदेश बनाए गए दोनों संघ शासित प्रदेशों में उप राज्यपाल पद का प्रावधान किया गया जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश के लिए विधानसभा के गठन का भी प्रावधान है इसके लिए चुनाव होने बाकी हैं दोनों संघ शासित प्रदेशों के लिए श्रीनगर में ही उच्च न्यायालय है।

अनुच्छेद 239 में संघ शासित प्रदेशों के प्रशासन का उल्लेख है।

अनुच्छेद 240 में यह उल्लेखित है कि सुशासन प्रकृति तथा शांति स्थापित करने हेतु राष्ट्रपति संघ शासित प्रदेशों के लिए विनियम बनाएंगे इस अनुच्छेद में लक्षदीप अंडमान निकोबार दीप दमन व दीव दादर और नगर हवेली तथा पांडिचेरी का उल्लेख है।

दिसंबर 2019 में संसद के एक कानून द्वारा दादर नगर हवेली तथा दमन व द्वीप का विलय कर दिया गया है।

 

महाराष्ट्र में विदर्भ प्रदेश उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड हरित प्रदेश अवध प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड तथा उत्तरी पूर्वी राज्यों में बोडोलैंड की स्थापना हेतु आंदोलन हुआ है लेकिन अभी तक इन राज्यों की स्थापना नहीं की गई है।

निष्कर्ष-

राज्यों के पुनर्गठन ने भारत की एकता को कमजोर नहीं किया बल्कि संपूर्ण रूप से देखा जाए तो मज़बूत ही किया है परंतु यह विभिन्न राज्यों के मध्य सभी विवादों और समस्याओं का समाधान नहीं कर पाया। विभिन्न राज्यों के बीच सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यकों की समस्या के साथ-साथ नदी जल बँटवारा की समस्या जैसे प्रश्न अभी भी अनसुलझे पड़े हैं।

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