नवरात्रि के चौथे दिन इस तरह करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें भोग विधि से लेकर मंत्र, कथा समेत हर जानकारी - Rajasthan Result

नवरात्रि के चौथे दिन इस तरह करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें भोग विधि से लेकर मंत्र, कथा समेत हर जानकारी

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नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा ने ही इस सृष्टि की रचना की थी। इसी के चलते इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। मान्यता है कि शुरुआत में हर ओर अंधेरा व्याप्त था। तब देवी ने ब्रह्मांड की रचना अपनी मंद हंसी से की थी। अष्टभुजा देवी अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कमंडल, जप माला, चक्र, गदा और अमृत से भरपूर कलश रखती हैं। आइए पढ़ते हैं मां कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र, आरती और व्रत कथा।

मां कूष्मांडा

मां कूष्मांडा

देवी कूष्मांडा के मंत्र:

 

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।

 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

ध्यान मंत्र:

 

वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

 

सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

 

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

 

आरती :—

 

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

 

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥

 

लाखों नाम निराले तेरे ।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

 

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

 

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥

 

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

 

माँ के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

 

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥

 

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

 

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

 

मां कूष्मांडा की व्रत कथा:

पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा से तात्पर्य है कुम्हड़ा। कहा जाता है कि मांकूष्मांडा ने संसार को दैत्यों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए ही अवतार लिया था। इनका वाहन सिंह है। हिंदू संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इन्हें आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। मान्यता है कि इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में स्थित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

ज़रूर पढ़ें :–— मां चंद्रघंटा की कथा आरती पूजा विधि

 

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