Shravan Putrada Ekadashi Katha: व्रत का पूर्ण लाभ पाने के लिए पढ़ें पुत्रदा एकादशी की यह कथा
Shravan Putrada Ekadashi Vrat : हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह एकादशी 30 जुलाई को है। इस दिन निर्जला व्रत किया जाता है। यानी इस दिन पानी के एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन एकादशी का व्रत करने के बाद अगर व्यक्ति श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुनता है तो उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो चलिए सुनते हैं श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा।
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Shravan Putrada Ekadashi व्रत की कथा:
प्राचीन काल में भद्रावतीपुरी नाम का एक नगर था। यहां पर सुकेतुमान नाम का एक राजा राज करता था। इसके विवाह के बाद काफी समय तक उसकी कोई संताई नहीं हुई। इस बात से राजा व रानी काफी दुखी रहा करते थे। राजा हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहता था कि जब उसकी मृत्यु हो जाएगी तो उसका अंतिम संस्कार कौन करेगा? उसके पितृों का तर्पण कौन करेगा।?
वह पूरे दिन इसी सोच में डूबा रहता था। एक दिन परेशान राजा घोड़े पर सवार होकर वन की तरफ चल दिया। कुच समय बाद वहा जंगल के बीच में पहुंच गया। जंगह काफी घना था। इस बीच उन्हें प्यास भी लगने लगी। राजा पानी की तलाश में तालाब के पास पहुंच गए। यहां उनके आश्रम दिखाई दिया जहां कुछ ऋृषि रहते थे। वहां जाकर राजा ने जल ग्रहण किया और ऋषियों से मिलने आश्रम में चले गए। यहां उन्होंने ऋषि-मुनियों को प्रणाम किया जो वेदपाठ कर रहे थे।
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राजा ने ऋषियों से वेदपाठ करने का कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि आज पुत्रदा एकादशी है। अगर कोई व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और पूजा करता है तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। यह राजा बेहद खुश हुआ और उसने पुत्रदा एकादशी व्रत रखने का प्रण किया। राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। साथ ही विष्णु के बाल गोपाल स्वरूप की अराधना भी की। सुकेतुमान ने द्वादशी को पारण किया। इस व्रत का प्रभाव ऐसा हुआ कि उसकी पत्नी ने एक सुंदर संतान को जन्म दिया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति Shravan Putrada Ekadashi की व्रत करात है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है। साथ ही कथा सुनने के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
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